आम आदमी के शायर को नमन - Open Books Online2024-03-29T09:51:42Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:175117?commentId=5170231%3AComment%3A175787&x=1&feed=yes&xn_auth=noइस मूर्धन्य व्यक्तित्व और जन-…tag:openbooks.ning.com,2011-12-24:5170231:Comment:1757872011-12-24T11:36:41.581ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>इस मूर्धन्य व्यक्तित्व और जन-रचनाकार को अश्रुपूरित भाव-भीनी सादर विदाई.</p>
<p>इस मूर्धन्य व्यक्तित्व और जन-रचनाकार को अश्रुपूरित भाव-भीनी सादर विदाई.</p> ऐसी महान शख्सियत को अश्रुपूर्…tag:openbooks.ning.com,2011-12-19:5170231:Comment:1748992011-12-19T16:31:08.906Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>ऐसी महान शख्सियत को अश्रुपूर्ण विदाई और शत शत प्रणाम</p>
<p>ऐसी महान शख्सियत को अश्रुपूर्ण विदाई और शत शत प्रणाम</p> काजू भुने प्लेट में, व्हिस्की…tag:openbooks.ning.com,2011-12-19:5170231:Comment:1749322011-12-19T05:20:17.094Zदुष्यंत सेवकhttp://openbooks.ning.com/profile/DushyantSewak
<p>काजू भुने प्लेट में, व्हिस्की गिलास मे<br/>उतरा है रामराज विधायक निवास में<br/><br/>पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैत<br/>इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में<br/><br/>आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह<br/>जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में<br/><br/>पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें<br/>संसद बदल गयी है यहाँ की नख़ास में<br/><br/>जनता के पास एक ही चारा है बगावत<br/>यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में</p>
<p>काजू भुने प्लेट में, व्हिस्की गिलास मे<br/>उतरा है रामराज विधायक निवास में<br/><br/>पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैत<br/>इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में<br/><br/>आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह<br/>जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में<br/><br/>पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें<br/>संसद बदल गयी है यहाँ की नख़ास में<br/><br/>जनता के पास एक ही चारा है बगावत<br/>यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में</p> adam sahab ki chand panktiyaa…tag:openbooks.ning.com,2011-12-19:5170231:Comment:1750312011-12-19T04:48:18.987Zदुष्यंत सेवकhttp://openbooks.ning.com/profile/DushyantSewak
<p>adam sahab ki chand panktiyaan... OBO sadasyon ke paas bhi agar is jankavi ki kuch panktiyaan ho to saajha karen...</p>
<p>तुम्हारी फाईलों में गाँव का मौसम गुलाबी है<br></br> मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है<br></br> <br></br> उधर जम्हूरियत का ढोल पीटे जा रहे हैं वो<br></br> इधर परदे के पीछे बरबरियत है, नवाबी है <br></br> <br></br> लगी है होड़ सी देखो अमीरी और गरीबी में <br></br> ये गांधीवाद के ढांचे की बुनियादी खराबी है<br></br> <br></br> तुम्हारी मेज़ चांदी की तुम्हारे जाम सोने के<br></br> यहाँ जुम्मन के घर में आज भी फूटी…</p>
<p>adam sahab ki chand panktiyaan... OBO sadasyon ke paas bhi agar is jankavi ki kuch panktiyaan ho to saajha karen...</p>
<p>तुम्हारी फाईलों में गाँव का मौसम गुलाबी है<br/> मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है<br/> <br/> उधर जम्हूरियत का ढोल पीटे जा रहे हैं वो<br/> इधर परदे के पीछे बरबरियत है, नवाबी है <br/> <br/> लगी है होड़ सी देखो अमीरी और गरीबी में <br/> ये गांधीवाद के ढांचे की बुनियादी खराबी है<br/> <br/> तुम्हारी मेज़ चांदी की तुम्हारे जाम सोने के<br/> यहाँ जुम्मन के घर में आज भी फूटी रकाबी है</p>