कहीं ये थप्पड़ किसी क्रांति का आगाज़ तो नहीं- राजीव गुप्ता - Open Books Online2024-03-28T19:30:51Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:169451?commentId=5170231%3AComment%3A169821&feed=yes&xn_auth=noदेखते हैं उठ किस करवट बैठता ह…tag:openbooks.ning.com,2011-11-29:5170231:Comment:1711812011-11-29T19:47:02.316Zराज लाली बटालाhttp://openbooks.ning.com/profile/rajlallysharma
<p>देखते हैं उठ किस करवट बैठता है !! अच्छा लेख लिखा है आपने !!! Rajiv ji !</p>
<p>देखते हैं उठ किस करवट बैठता है !! अच्छा लेख लिखा है आपने !!! Rajiv ji !</p> ये कछुए है या गेंडे. भारतीय फ…tag:openbooks.ning.com,2011-11-26:5170231:Comment:1697372011-11-26T08:48:27.867ZLOON KARAN CHHAJERhttp://openbooks.ning.com/profile/LOONKARANCHHAJER
<p>ये कछुए है या गेंडे. भारतीय फिलम की तरह किसी अभिनेता की जरुरत है जो सब को ठीक कर दे .होना तो यह चाहिए की सब नेताओं को गोली से उड़ा देना चाहिए पर अहिंसावादी हूँ इसलिए भगवन से प्राथना ही करूँगा की सब नेताओं को सदबुद्धि देवें .</p>
<p>ये कछुए है या गेंडे. भारतीय फिलम की तरह किसी अभिनेता की जरुरत है जो सब को ठीक कर दे .होना तो यह चाहिए की सब नेताओं को गोली से उड़ा देना चाहिए पर अहिंसावादी हूँ इसलिए भगवन से प्राथना ही करूँगा की सब नेताओं को सदबुद्धि देवें .</p> भारत जो कभी सोने की चिड़िया के…tag:openbooks.ning.com,2011-11-26:5170231:Comment:1698212011-11-26T08:42:26.633ZLOON KARAN CHHAJERhttp://openbooks.ning.com/profile/LOONKARANCHHAJER
<p>भारत जो कभी सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था जिसके वासिंदो के लिए कहा जाता था की भारत एक आमिर देश है जहाँ के निवासी गरीब है .अब घोटालो की परतों के खुलने से पूरी दुनिया जान गयी है की यहाँ के लोग गरीब क्यों है ?</p>
<p>भारत जो कभी सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था जिसके वासिंदो के लिए कहा जाता था की भारत एक आमिर देश है जहाँ के निवासी गरीब है .अब घोटालो की परतों के खुलने से पूरी दुनिया जान गयी है की यहाँ के लोग गरीब क्यों है ?</p> लीजिये, अभी अन्ना द्वारा इसी…tag:openbooks.ning.com,2011-11-26:5170231:Comment:1696882011-11-26T05:59:37.154ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>लीजिये, अभी अन्ना द्वारा इसी तरह के उद्बोधन से उड़ी धूल ही नहीं बैठी थी. .. :-)))))</p>
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<p>लीजिये, अभी अन्ना द्वारा इसी तरह के उद्बोधन से उड़ी धूल ही नहीं बैठी थी. .. :-)))))</p>
<p> </p> एक नहीं , इन नेताओं को चार-चा…tag:openbooks.ning.com,2011-11-26:5170231:Comment:1697242011-11-26T04:17:43.007ZVinay Kullhttp://openbooks.ning.com/profile/VinayBhushanKull
<p>एक नहीं , इन नेताओं को चार-चार थप्पड़ भी जडना शुरू कर दें तो इनकी मोटी खाल पर कुछ असर नहीं होना है. जनता चाहे तो यह भी करके देख ले. </p>
<p>एक नहीं , इन नेताओं को चार-चार थप्पड़ भी जडना शुरू कर दें तो इनकी मोटी खाल पर कुछ असर नहीं होना है. जनता चाहे तो यह भी करके देख ले. </p> nicetag:openbooks.ning.com,2011-11-25:5170231:Comment:1696802011-11-25T22:09:28.686ZVikram Prataphttp://openbooks.ning.com/profile/VikramPratap
<p>nice</p>
<p>nice</p> वन्दे मातरम दोस्तों, जन आक्रो…tag:openbooks.ning.com,2011-11-25:5170231:Comment:1694052011-11-25T14:51:19.210Zrakesh guptahttp://openbooks.ning.com/profile/rakeshgupta
<p><span class="commentBody">वन्दे मातरम दोस्तों,<br/> जन आक्रोश उबाल पर है नेता गण समझ कर भी समझना नही चाहते हैं, लगातार लग रहे <strong>जूते और चांटे</strong> निसंदेह ठीक नही हैं मगर मुझ सहित अनेक को लगता है की शायद इसी तरीके से ही सही......... जनता का खून चूसने वाले नेता अब तो <strong>जन भावना को समझ कर</strong> उसका सम्मान करना सीख जाएँ .......</span></p>
<p><span class="commentBody">वन्दे मातरम दोस्तों,<br/> जन आक्रोश उबाल पर है नेता गण समझ कर भी समझना नही चाहते हैं, लगातार लग रहे <strong>जूते और चांटे</strong> निसंदेह ठीक नही हैं मगर मुझ सहित अनेक को लगता है की शायद इसी तरीके से ही सही......... जनता का खून चूसने वाले नेता अब तो <strong>जन भावना को समझ कर</strong> उसका सम्मान करना सीख जाएँ .......</span></p> उलझन, उजबुजाहट और दिग्भ्रम मे…tag:openbooks.ning.com,2011-11-25:5170231:Comment:1693842011-11-25T09:05:34.506ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>उलझन, उजबुजाहट और दिग्भ्रम में पड़ा समाज किसी पक्ष की संतुष्टि का कारण नहीं हो सकता. इनके विरुद्ध उपाय और समाधान ढूँढने की आवश्यकता है. फिरभी असंतोष को हवा देते विन्दु आज कितने हावी हैं वह इसी बात से पता चलता है कि इस बेतुके एपिसोड को नयी हवा दी जा रही है-- ’अन्ना ने क्या कहा?!!’ </p>
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<p>आम आदमी जूझ रहा है, कलप रहा है लेकिन जिनके कुकृत्यों से ऐसा माहौल बना है वे संवेदनाहीन बने ज्वलंत तथ्यों को घुमाने में माहिर हैं.</p>
<p>आम आदमी की विवषता को स्वर देते कविवर जानकी वल्लभ शास्त्री के…</p>
<p>उलझन, उजबुजाहट और दिग्भ्रम में पड़ा समाज किसी पक्ष की संतुष्टि का कारण नहीं हो सकता. इनके विरुद्ध उपाय और समाधान ढूँढने की आवश्यकता है. फिरभी असंतोष को हवा देते विन्दु आज कितने हावी हैं वह इसी बात से पता चलता है कि इस बेतुके एपिसोड को नयी हवा दी जा रही है-- ’अन्ना ने क्या कहा?!!’ </p>
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<p>आम आदमी जूझ रहा है, कलप रहा है लेकिन जिनके कुकृत्यों से ऐसा माहौल बना है वे संवेदनाहीन बने ज्वलंत तथ्यों को घुमाने में माहिर हैं.</p>
<p>आम आदमी की विवषता को स्वर देते कविवर जानकी वल्लभ शास्त्री के शब्दों को उद्धृत करने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहा हूँ - <em>कहते ऐसे ही जीते हैं जो जीने वाले हैं</em></p>
<p>आदमी जब दुखी हो तो उससे शिष्टता की अपेक्षा नहीं करनी चाहिये.</p>
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