समीक्षा : 'न बहुरे लोक के दिन' (नवगीत संग्रह) - Open Books Online2024-03-28T10:33:23Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:1076599?groupUrl=Pustak_samiksha&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प…tag:openbooks.ning.com,2022-01-14:5170231:Comment:10770092022-01-14T14:29:25.593ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुत समीक्षा पर आपका आशीर्वाद से मेरे कार्य का मूल्यांकन हुआ. यह उत्तम और पठनीय नवीत संग्रह है. आपका हृदय से आभार. सादर</p>
<p>आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुत समीक्षा पर आपका आशीर्वाद से मेरे कार्य का मूल्यांकन हुआ. यह उत्तम और पठनीय नवीत संग्रह है. आपका हृदय से आभार. सादर</p> //नवगीत सृजन एक संवेदनशील मन…tag:openbooks.ning.com,2022-01-12:5170231:Comment:10766062022-01-12T11:49:40.121ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p><em>//नवगीत सृजन एक संवेदनशील मन की तपस्या का परिणाम होता है. जिसे परम्परा और आधुनिक काल का पूर्ण बोध हो. //</em></p>
<p><span>उपर्युक्त पंक्ति की पारिभाषिक क्षमता नवगीत के विधान को पूर्णरूप से सार्थक साबित करती है. </span></p>
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<p>आदरणीय अशोकजी, मुझे इस पाठकीय समीक्षा से नवगीत-संग्रह के स्तर का भान तो हो ही रहा है, आपकी सजग दृष्टि तथा आपका मनस आपके अवगाहन क्षमता को भी रेखांकित कर रहे हैं. <span>अनामिका जी की काव्य प्रतिभा का संज्ञान है. उनकी इस कृति का सर्वथा स्वागत…</span></p>
<p><em>//नवगीत सृजन एक संवेदनशील मन की तपस्या का परिणाम होता है. जिसे परम्परा और आधुनिक काल का पूर्ण बोध हो. //</em></p>
<p><span>उपर्युक्त पंक्ति की पारिभाषिक क्षमता नवगीत के विधान को पूर्णरूप से सार्थक साबित करती है. </span></p>
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<p>आदरणीय अशोकजी, मुझे इस पाठकीय समीक्षा से नवगीत-संग्रह के स्तर का भान तो हो ही रहा है, आपकी सजग दृष्टि तथा आपका मनस आपके अवगाहन क्षमता को भी रेखांकित कर रहे हैं. <span>अनामिका जी की काव्य प्रतिभा का संज्ञान है. उनकी इस कृति का सर्वथा स्वागत है. </span></p>
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<p><span>इस समीक्षा के लिए हार्दिक धन्यवाद तथा अशेष शुभकामनाएँ </span></p>
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