For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-5 (विषय: परिभाषा)

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर वन्दे।
 
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पहले चारों आयोजन बेहद सफल रहे। नए पुराने सभी लघुकथाकारों ने बहुत ही उत्साहपूर्वक इनमें सम्मिलित होकर इन्हें सफल बनाया। न केवल उच्च स्तरीय लघुकथाओं से ही हमारा साक्षात्कार हुआ बल्कि एक एक लघुकथा पर भरपूर चर्चा भी हुई। गुणीजनों ने न केवल रचनाकारों का भरपूर उत्साहवर्धन ही किया अपितु रचनाओं के गुण दोषों पर भी खुलकर अपने विचार प्रकट किए।  यह कहना कोई अतिश्योक्ति न होगी कि यह आयोजन लघुकथा विधा के क्षेत्र में मील के पत्थर साबित हुए हैं । तो साथियो, इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है....
 
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-5
विषय : "परिभाषा"
अवधि : 29-08-2015 से 30-08-2015 
(आयोजन की अवधि दो दिन अर्थात 29 अगस्त 2015 दिन शनिवार से 30 अगस्त 2015 दिन रविवार की समाप्ति तक)
 (फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  29 अगस्त 2015 दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
.
अति आवश्यक सूचना :-
१. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
२.सदस्यगण एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
३. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
४. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
५. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी लगाने की आवश्यकता नहीं है।
६. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
७.  नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
८. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
९. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं। रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें।
१०. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 19498

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

मेरी बेटी भी कंप्यूटर इंजीनियर है।  उसे भी खाना बनाना नही आता। मैं उसे अभी बंगलोरे छोड़ कर आया हूँ। कहानी   अच्छे ढंग से लिखी गयी है लेकिन  मैं  कहानी के सन्देश से इत्तेफाक नहीं रखता। आप कुछ भी करें अच्छा करना जरूरी है। मेरी बेटी को कोड लिखना आता है रोटी बनाना नही आता लेकिन वो खाना बनाने वाली भी रखती है।  और खाना बनाने वाली बाई की बेटी  की  पढ़ाई के लिए कुछ अतिरिक्त राशि भी देती है इस शर्त के साथ की वह अच्छे अंक लाएगी तो ही वह जारी रखेगी। कौन अच्छा है बाई जिसे खाना बनाना आता है या इंजीनियर जिसे कोड लिखना आता है।  

आ० रोहित जी ये आपकी सोच है। आप आधुनिक सोच वाले हैं बेटे बेटी में कोई फर्क नहीं समझते फिर बिटिया को छोड़ने जाने की आवश्यकता क्यों पड़ी,अगर उसकी जगह बेटा होता तो उसके साथ भी जाते क्या? दूसरी बात अगर कामवालियां सबकुछ सम्हालने में सक्षम हैं तो शादी के लिए उत्साहित क्यों? बेटे को सेटल करना है तो एक बढ़िया सी कामवाली तलाशिये अच्छे खानदान की सुसंस्कारी कन्या क्यों??
आशा है आप मेरी बात को स्वस्थ बहस की तरह लेंगे। सादर

आदरणीया सीमा जी मेरी बेटी  और मेरा  बॉस के बेटे का एक साथ सलेक्शन हुआ। उनका बेटा तो पहले भी किसी नौकरी में रहा हुआ था लेकिन फिर भी लड़के के साथ उसके माँ और बाप दोनों गए। बेटी पहली बार बाहर गयी थी और केवल मैं ही साथ गया था । कुछ आर्थिक निर्णय भी लेने पड़ते है, खैर मैं पांच दिन में आ गया और वो लोग १५ दिन  में आये सब कुछ मकान वगैरह  दिलाकर सेट  करवा  कर आये । मेरी बेटी ने मेरे आने के बाद स्वयं ३ लड़कियों का ग्रुप बनाकर मकान ढूंढा। और सब कुछ बसाया।  अन्नपूर्णा को  अन्ना पकाने वाली से  मिक्स करना मेरी नज़र में उचित नहीं है।  खाना लड़की ही क्यों पकाये जब  वह  भी रात  में ९-१०  बजे तक काम कर रही है। परिस्थितयों के अनुसार सोच में बदलाव भी आवश्यक है। और शादी का जहाँ तक सवाल है उसका तो सम्बन्ध प्रेम से है अन्य बातें तो सब गौण हैं . खैर आपकी  और मेरी सोच में भिन्नता हो सकती है।कहानी आपकी वाकई बहुत सुन्दर है लेकिन सन्देश को लेकर मेरी राय एकदम विपरीत है। 

किसी परमुखापेक्षी बेटे का उदाहरण अहंतोष का कारण नहीं होना चाहिये, आदरणीय रोहितजी.

आपके बॉस का ’बेटा’ वस्तुतः मानसिक तौर पर अपरिपक्व है. उसके आगे के जीवन में आपके बॉस कहाँ तक सहयोगी रहेंगे यह आपके बॉस की भी भारी चिंता होगी. वस्तुतः यह आपके बॉस द्वारा की गयी परवरिश का दोष है. उन्होंने उसे परजीवी बना कर उसकेलिए उसका संसार ’भारी आफ़त की जगह’ बना कर रख दिया है. ऐसा कोई बेटा किसी सक्षम और सचेत बेटी के सापेक्ष ’लालबाबू’ भी नहीं, वस्तुतः एक ’लुल्लबाबू’ ही दिखेगा. 

वाह श्रद्धेय सौरभ्‍ा भाई जी क्‍या शानदार उदाहरण दी है आपने 'लालबाबू' और 'लुल्‍लबाबू' के रूप में । मजा आ गया । नमन सर

रवि भाई, आँखें सचेत और स्पष्ट रखना और बच्चों को उनके संसार में जीने देना ही सही व्यवस्था है. यही एक जागरुक माता-पिता के रूप में हम कर सकते हैं. यही करना भी चाहिये. उनको लेकर अनावश्यक रूप से ज्यादा संवेदनशील होना उनकी भविष्य के साथ खिलवाड़ करना है.

मैं अपने आस-पास के कई तथाकथित बण्टियों और मन्नुओं को जानता हूँ जो आज अपने बच्चों के पिता हो चुके हैं और नौकरियों में हैं, अर्जित किये-करवाये गये सर्टिफिकेटों के बल पर पैसा भी कमा ले रहे हैं, लेकिन अपने ’लुल्लपने’ से बाहर नहीं आ पाये हैं. उनकी पत्नियाँ सहयोगी मात्र नहीं, स्ट्रिक्ट गार्जियन की तरह व्यवहार करती हैं जो उनके हर कदम पर ’झाड़ और डाँट’ पिलाती रहती हैं. यानी, उन ’लल्लुओं’ के लिए उनके बाप और माँ गये तो पत्नियाँ आ गयी. उनकी दशा में कोईसुधार नहीं है. 

बहुत सुंदर और ज्ञानवर्धन चर्चा हुई इस इस लघुकथा पर, निष्कर्ष में -

शिक्षित होने का अर्थ यह नहीं की महिला या पुरुष अपनी सार्थक पहचान -, स्वाभाव और कर्तव्य से विमुख रहे | हाँ, आज का युग में शिक्षित करना या हुनर सीखना अच्छी बात है |

2. जागरूक माता पिता ही सही व्यावहारिक शिक्षा दे पाते है जी बहुत कम देखने को मिलती है जैसा की आ. सौरभ जी ने कहा है वरना जो व्यहार माँ बाप करते हुआ वैसा रॉब घर में पत्नियां या पत्नियों पर आदमी जमाते रहते है, और उनके बच्चे भी तो फिर वही सीखते है |  

मेरे कहे को अनुमोदित करने केलिए सादर आभार आदरणीय लक्ष्मण प्रसादजी. 

आद0 सौरभ पाण्डेय जी आपकी ये प्रतिक्रिया बहुत सार्थक और सन्देश परक है । इससे मैंने आज बहुत बड़ी सीख सीखी है । इस बहुमूल्य सीख के लिए हृदय तल से आभार ।

मेरे कहे को अनुमोदित करने के लिए आपका सादर आभार आदरणीया शशि बंसलजी

उदाहरण कमाल है हा हा हा 

सुंदर और सार्थक कहानी हेतु बहुत बहुत बधाई आ० सीमा जी...आप से पूरी तरह  सहमत हूँ सीमा जी...| माफ़ कीजियेगा आ० कांता जी आप से बिल्कुल भी सहमत नहीं हूँ इस विषय पर ..स्त्री विमर्श का झंडा बुलंद करते करते हम बेटों को उपेक्षित ना कर दें ..थोड़ी रूढ़िवादी मै भी हूँ ...आज जो हालात है कल और भी बदतर ना हो इस लिए संतुलन बनाना बहुत जरूरी हैं कृपया मेरी बात को अन्यथा ना लें.. 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
yesterday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
yesterday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
yesterday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service