"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-45 (विषय: चेतना) - Open Books Online2024-03-29T13:38:21Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/45-3?commentId=5170231%3AComment%3A968222&x=1&feed=yes&xn_auth=noआदाब। बुरा मानने वाले कभी कुछ…tag:openbooks.ning.com,2018-12-31:5170231:Comment:9682222018-12-31T18:29:26.963ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। बुरा मानने वाले कभी कुछ सीख नहीं सकते। मैं कभी किसी टिप्पणी का कभी बुरा नहीं मानता। आभारी हूं सभी टिप्पणियों और सुझावों के लिए। आपके सुझाव पर भी ग़ौर करूंगा। हार्दिक आभार आदरणीया कल्पना भट्ट जी। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को।</p>
<p>आदाब। बुरा मानने वाले कभी कुछ सीख नहीं सकते। मैं कभी किसी टिप्पणी का कभी बुरा नहीं मानता। आभारी हूं सभी टिप्पणियों और सुझावों के लिए। आपके सुझाव पर भी ग़ौर करूंगा। हार्दिक आभार आदरणीया कल्पना भट्ट जी। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को।</p> उसके पूर्व के संवादों को पढ़ें…tag:openbooks.ning.com,2018-12-31:5170231:Comment:9680702018-12-31T18:15:45.125ZMahendra Kumarhttp://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>उसके पूर्व के संवादों को पढ़ें आपको सहज ही उत्तर मिल जाएगा। रचना पर आपकी उपस्थित और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदय से आभार। सादर।</p>
<p>उसके पूर्व के संवादों को पढ़ें आपको सहज ही उत्तर मिल जाएगा। रचना पर आपकी उपस्थित और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदय से आभार। सादर।</p> अभी और काम किया जाए इस रचना प…tag:openbooks.ning.com,2018-12-31:5170231:Comment:9680692018-12-31T17:50:33.629ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>अभी और काम किया जाए इस रचना पर तो बेहतर लघुकथा बन सकती है, ऐसा मुझे लगता है| सादर| उम्मीद है आप बुरा न मानेंगे शहजाद जी| </p>
<p>अभी और काम किया जाए इस रचना पर तो बेहतर लघुकथा बन सकती है, ऐसा मुझे लगता है| सादर| उम्मीद है आप बुरा न मानेंगे शहजाद जी| </p> कृषक पर आधारित बढ़िया लघुकथा ह…tag:openbooks.ning.com,2018-12-31:5170231:Comment:9682212018-12-31T17:46:52.258ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>कृषक पर आधारित बढ़िया लघुकथा हुई है आदरणीय विनय जी| हार्दिक बधाई | </p>
<p>कृषक पर आधारित बढ़िया लघुकथा हुई है आदरणीय विनय जी| हार्दिक बधाई | </p> अच्छी कथा हुई है जिसके लिए बध…tag:openbooks.ning.com,2018-12-31:5170231:Comment:9679852018-12-31T17:41:31.120ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>अच्छी कथा हुई है जिसके लिए बधाई स्वीकारें आदरणीय अजय गुप्ता जी|</p>
<p>अच्छी कथा हुई है जिसके लिए बधाई स्वीकारें आदरणीय अजय गुप्ता जी|</p> अच्छा प्रयास हुआ है आदरणीया अ…tag:openbooks.ning.com,2018-12-31:5170231:Comment:9682192018-12-31T17:33:07.782ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>अच्छा प्रयास हुआ है आदरणीया अनीता जी| सुधिजनो की बातों पर संज्ञान लीजियेगा| सादर| </p>
<p>अच्छा प्रयास हुआ है आदरणीया अनीता जी| सुधिजनो की बातों पर संज्ञान लीजियेगा| सादर| </p> आपकी लघुकथा अपने आप में एक अल…tag:openbooks.ning.com,2018-12-31:5170231:Comment:9680662018-12-31T17:27:50.429ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>आपकी लघुकथा अपने आप में एक अलग बात लिए होती है अलग दृष्टिकोण से आप रु-ब-रु करवाते हो| फंतासी की रचना वह भी सहज और इतनी रोचक बना देते हो| बहुत बढ़िया शिल्प, और परिकल्पना भी शानदार है| हार्दिक बधाई आपको इस लघुकथा के लिए| </p>
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<p>बस एक जगह मुझे संदेह हो रहा है, //<span>पाइथागोरस ने मन ही मन सोचा और अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए चल दिया/// सोची हुई बात का पता कैसे चला? यहाँ लेखक का प्रवेश प्रतीत हो रहा है| </span></p>
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<p>पर ओवरआल बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है| सादर </p>
<p>आपकी लघुकथा अपने आप में एक अलग बात लिए होती है अलग दृष्टिकोण से आप रु-ब-रु करवाते हो| फंतासी की रचना वह भी सहज और इतनी रोचक बना देते हो| बहुत बढ़िया शिल्प, और परिकल्पना भी शानदार है| हार्दिक बधाई आपको इस लघुकथा के लिए| </p>
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<p>बस एक जगह मुझे संदेह हो रहा है, //<span>पाइथागोरस ने मन ही मन सोचा और अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए चल दिया/// सोची हुई बात का पता कैसे चला? यहाँ लेखक का प्रवेश प्रतीत हो रहा है| </span></p>
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<p>पर ओवरआल बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है| सादर </p> बेहतरीन रचना द्वारा नेताओं के…tag:openbooks.ning.com,2018-12-31:5170231:Comment:9681792018-12-31T17:05:12.627Zbabitaguptahttp://openbooks.ning.com/profile/babitagupta631
<p>बेहतरीन रचना द्वारा नेताओं के वादों पर तंज कसती। बधाई,आदरणीय तेजवीर सरजी।</p>
<p>बेहतरीन रचना द्वारा नेताओं के वादों पर तंज कसती। बधाई,आदरणीय तेजवीर सरजी।</p> आभार ,विनय सरजी।tag:openbooks.ning.com,2018-12-31:5170231:Comment:9680652018-12-31T17:01:54.477Zbabitaguptahttp://openbooks.ning.com/profile/babitagupta631
<p>आभार ,विनय सरजी।</p>
<p>आभार ,विनय सरजी।</p> आभार महेंद्र सरजी।tag:openbooks.ning.com,2018-12-31:5170231:Comment:9682182018-12-31T17:01:29.439Zbabitaguptahttp://openbooks.ning.com/profile/babitagupta631
<p>आभार महेंद्र सरजी।</p>
<p>आभार महेंद्र सरजी।</p>