"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-43 (विषय: "आजकल") - Open Books Online2024-03-28T21:50:04Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/43-3?commentId=5170231%3AComment%3A959216&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय डॉo टी आर शुकुल जी , अ…tag:openbooks.ning.com,2018-10-31:5170231:Comment:9593672018-10-31T18:14:56.980ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय डॉo टी आर शुकुल जी , अच्छी प्रस्तुति, अच्छा व्यवसाय। बधाई ,सादर।</p>
<p>आदरणीय डॉo टी आर शुकुल जी , अच्छी प्रस्तुति, अच्छा व्यवसाय। बधाई ,सादर।</p> आदरणीय तेजवीर सिंह जी , अरे व…tag:openbooks.ning.com,2018-10-31:5170231:Comment:9595192018-10-31T18:11:13.321ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी , अरे वाह। बधाई , सादर।</p>
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी , अरे वाह। बधाई , सादर।</p> प्रदत्त विषय पर एक अलग एवं ज्…tag:openbooks.ning.com,2018-10-31:5170231:Comment:9593662018-10-31T18:08:52.558ZMahendra Kumarhttp://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>प्रदत्त विषय पर एक अलग एवं ज्वलंत विषय को छुआ है आपने आदरणीय वीर मेहता जी. इस हेतु मेरी तरफ़ से ढेरों बधाई स्वीकार कीजिए. वैसे अन्त यदि कुछ और होता तो मेरी नज़र में यह एक उम्दा लघुकथा होती. साथ ही, अगर अन्त यही रखना था तो नायक और नायिका के बीच प्रेम नहीं दर्शाना था क्योंकि इससे नायक का चरित्र कमज़ोर होता है. सादर.</p>
<p>प्रदत्त विषय पर एक अलग एवं ज्वलंत विषय को छुआ है आपने आदरणीय वीर मेहता जी. इस हेतु मेरी तरफ़ से ढेरों बधाई स्वीकार कीजिए. वैसे अन्त यदि कुछ और होता तो मेरी नज़र में यह एक उम्दा लघुकथा होती. साथ ही, अगर अन्त यही रखना था तो नायक और नायिका के बीच प्रेम नहीं दर्शाना था क्योंकि इससे नायक का चरित्र कमज़ोर होता है. सादर.</p> आदाब। बेहतरीन टिप्पणी के साथ…tag:openbooks.ning.com,2018-10-31:5170231:Comment:9593052018-10-31T18:08:18.356ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। बेहतरीन टिप्पणी के साथ मेरी हौसला अफ़ज़ाई और बिंदुवार इस्लाह हेतु हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र कुमार साहिब।</p>
<p>1- अधेड़ शिक्षित सेलिब्रिटीज एक ही वाक्य में हिंदी, उर्दू , अंग्रेज़ी शब्दों का प्रयोग करते पाए गए हैं। "अंग्रेज़ी शब्दों से बचने के लिए 'प्रत्युत्पन्नमति' शब्द का इस्तेमाल किया है। 2-'साझा' ही लिखा करता था, फिर कहीं कहा गया कि सही शब्द 'सांझा' है, तो इस तरह लिखने लगा। जैसे टीवी धारावाहिक में 'सांझा चूल्हा'! 'शिद्दत' हेतु भ्रम था, नेट से सही पता नहीं कर पाया था। 3- //रैगिंग…</p>
<p>आदाब। बेहतरीन टिप्पणी के साथ मेरी हौसला अफ़ज़ाई और बिंदुवार इस्लाह हेतु हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र कुमार साहिब।</p>
<p>1- अधेड़ शिक्षित सेलिब्रिटीज एक ही वाक्य में हिंदी, उर्दू , अंग्रेज़ी शब्दों का प्रयोग करते पाए गए हैं। "अंग्रेज़ी शब्दों से बचने के लिए 'प्रत्युत्पन्नमति' शब्द का इस्तेमाल किया है। 2-'साझा' ही लिखा करता था, फिर कहीं कहा गया कि सही शब्द 'सांझा' है, तो इस तरह लिखने लगा। जैसे टीवी धारावाहिक में 'सांझा चूल्हा'! 'शिद्दत' हेतु भ्रम था, नेट से सही पता नहीं कर पाया था। 3- //रैगिंग या प्रैंकिंग या मज़ाक// मज़ाक के इन तीनों विधाओं के वर्तमान स्वरूपों में बड़ा ही गंभीर अंतर है। इसीलिए जानबूझ उन्हें हाइलाइट करने के लिए ऐसा लिखा है पात्र के साथ विभिन्न हरेशमंट को उभारने के लिए। केवल मज़ाक से हरेशमंट नहीं भी हो सकता है। मज़ाक से स्वस्थ्य मनोरंजन भी होता है, लेकिन रैगिंग या प्रैंकिंग से डिप्रेशन/आत्महत्याएं तक हो सकती हैं, किसी तरह की क्षति भी हो सकती है।
3- शीर्षक ही मेरी नज़र में हिट फ़िल्मी गीत के आशावादी गंभीर भावों और पात्र की मनोदशा से सामंजस्य रखते हुए रखा गया है। अन्य विकल्पों में से मैंने इसे ही चुना था। #MeToo के मीडियापा वाले "देख तमाशा" और नकारात्मकता में 'जागी आशा' के साथ सकारात्मकता का संदेश सम्प्रेषित करने के लिए पाठकगण को अंतिम पंक्तियों द्वारा वह हिट नग़मा सुनने और वीडियो देखने के लिए प्रेरित करते हुए उस गीत के संदेश के साथ पात्र के डायरी लेखन के भाव व परिदृश्य के संदेश को जोड़ने की यहां कोशिश की गई है।<br />
चूंकि एक अधेड़ शिक्षित सेलिब्रिटी अविवाहिता का आत्मकथ्यात्मक भावपूर्ण प्रवाहमय डायरी लेखन है, अतः उलझनों में फंसी बातें उलझाव भले लग रही हैं, लेकिन ग़ौर करियेगा, बहुत ही कड़वा सच मशहूर गीत के भावों व शीर्षक सहित बयान करने की कोशिश की थी। आपके सुझाव पर भी ग़ौर करूंगा। सादर।</p> आदरणीय विनय कुमार जी , एक गंभ…tag:openbooks.ning.com,2018-10-31:5170231:Comment:9595182018-10-31T18:06:34.352ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
<p><br/>आदरणीय विनय कुमार जी , एक गंभीर प्रस्तुति। हार्दिक बधाई , सादर।</p>
<p><br/>आदरणीय विनय कुमार जी , एक गंभीर प्रस्तुति। हार्दिक बधाई , सादर।</p> आदरणीय ओम प्रकाश क्षत्रिय जी…tag:openbooks.ning.com,2018-10-31:5170231:Comment:9594212018-10-31T17:58:05.948ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय ओम प्रकाश क्षत्रिय जी , ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।</p>
<p>आदरणीय ओम प्रकाश क्षत्रिय जी , ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।</p> आदरणीय विनय कुमार जी , आपकी प…tag:openbooks.ning.com,2018-10-31:5170231:Comment:9595172018-10-31T17:54:53.811ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय विनय कुमार जी , आपकी पकड़ को नमन। मैं यही सदेश देना चाहता था कि वास्तव में यह वरदान ही है , विशेषतः नौकरी पेशा दम्पतियों के लिए। <br/>हार्दिक आभार एवं धन्यवाद। सादर।</p>
<p>आदरणीय विनय कुमार जी , आपकी पकड़ को नमन। मैं यही सदेश देना चाहता था कि वास्तव में यह वरदान ही है , विशेषतः नौकरी पेशा दम्पतियों के लिए। <br/>हार्दिक आभार एवं धन्यवाद। सादर।</p> 1. जबाब = जवाब
2. "फ़रियाद" स्…tag:openbooks.ning.com,2018-10-31:5170231:Comment:9595162018-10-31T17:54:30.471ZMahendra Kumarhttp://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>1. <span>जबाब = जवाब</span></p>
<p>2. "फ़रियाद" स्त्रीलिंग है इसलिए उसके साथ "कैसा" की जगह "कैसी" आना चाहिए.</p>
<p>सादर.</p>
<p>1. <span>जबाब = जवाब</span></p>
<p>2. "फ़रियाद" स्त्रीलिंग है इसलिए उसके साथ "कैसा" की जगह "कैसी" आना चाहिए.</p>
<p>सादर.</p> आदरणीय सुश्री बबीता गुप्ता जी…tag:openbooks.ning.com,2018-10-31:5170231:Comment:9594202018-10-31T17:51:06.831ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय सुश्री बबीता गुप्ता जी , बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।</p>
<p>आदरणीय सुश्री बबीता गुप्ता जी , बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।</p> आदरणीय मोहन बेगोवाल जी , आजकल…tag:openbooks.ning.com,2018-10-31:5170231:Comment:9595142018-10-31T17:47:34.164ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय मोहन बेगोवाल जी , आजकल के जीवन का एक ( आकस्मिक ) पहलु , बहुत ही सुन्दर प्रतीकात्मक रूप से व्यक्त। बधाई , इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए , सादर।</p>
<p>आदरणीय मोहन बेगोवाल जी , आजकल के जीवन का एक ( आकस्मिक ) पहलु , बहुत ही सुन्दर प्रतीकात्मक रूप से व्यक्त। बधाई , इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए , सादर।</p>