ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा-अंक 42 (Now Close) - Open Books Online2024-03-28T16:10:22Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/42?commentId=5170231%3AComment%3A492848&feed=yes&xn_auth=noबहुत बढिया कोशिश हुई है, भाई…tag:openbooks.ning.com,2013-12-29:5170231:Comment:4940822013-12-29T18:28:59.027ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>बहुत बढिया कोशिश हुई है, भाई अजय सिंहजी. <br/>नया सा ढंग भी भला लगा. मंच पर बने रहिये बहुत कुछ साझा होगा.. . <br/>धन्यवाद<br/> </p>
<p>बहुत बढिया कोशिश हुई है, भाई अजय सिंहजी. <br/>नया सा ढंग भी भला लगा. मंच पर बने रहिये बहुत कुछ साझा होगा.. . <br/>धन्यवाद<br/> </p> ओबीओ लाईव तरही मुशायरे के इस…tag:openbooks.ning.com,2013-12-29:5170231:Comment:4942472013-12-29T18:28:23.912Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>ओबीओ लाईव तरही मुशायरे के इस ४२ वें अंक को सफल बनाने के लिए सभी विद्वान शायरों और सुधि ग़ज़ल प्रेमियों का हार्दिक धन्यवाद करता हूँ. सफल और कुशल मंचन हेतु मंच संचालक श्री राणा प्रताप सिंह जी तथा ओबीओ बानी भाई गणेश बागी जी को भी हार्दिक बधाई देता हूँ.</p>
<p>ओबीओ लाईव तरही मुशायरे के इस ४२ वें अंक को सफल बनाने के लिए सभी विद्वान शायरों और सुधि ग़ज़ल प्रेमियों का हार्दिक धन्यवाद करता हूँ. सफल और कुशल मंचन हेतु मंच संचालक श्री राणा प्रताप सिंह जी तथा ओबीओ बानी भाई गणेश बागी जी को भी हार्दिक बधाई देता हूँ.</p> बहुत ही ज़ोरदार ग़ज़ल आदरणीय ।…tag:openbooks.ning.com,2013-12-29:5170231:Comment:4941712013-12-29T18:28:12.118Zram shiromani pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
<p>बहुत ही ज़ोरदार ग़ज़ल आदरणीय । … …हार्दिक बधाई आपको </p>
<p>बहुत ही ज़ोरदार ग़ज़ल आदरणीय । … …हार्दिक बधाई आपको </p> घायल होने के शुक्रिया अरुण जी…tag:openbooks.ning.com,2013-12-29:5170231:Comment:4940812013-12-29T18:27:46.987Zअजय कुमार सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/AjayKumarSingh
घायल होने के शुक्रिया अरुण जी। :-)
घायल होने के शुक्रिया अरुण जी। :-) शुक्रिया राणा प्रताप जी।tag:openbooks.ning.com,2013-12-29:5170231:Comment:4940802013-12-29T18:26:25.466Zअजय कुमार सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/AjayKumarSingh
शुक्रिया राणा प्रताप जी।
शुक्रिया राणा प्रताप जी। शुक्रिया सन्दीप जी।tag:openbooks.ning.com,2013-12-29:5170231:Comment:4940792013-12-29T18:24:59.808Zअजय कुमार सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/AjayKumarSingh
शुक्रिया सन्दीप जी।
शुक्रिया सन्दीप जी। सुन्दर ग़ज़ल हुई है आदरणीय अलबे…tag:openbooks.ning.com,2013-12-29:5170231:Comment:4943342013-12-29T18:22:15.626Zram shiromani pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
<p><span>सुन्दर ग़ज़ल हुई है आदरणीय अलबेला जी । … …हार्दिक बधाई आपको </span></p>
<p><span>सुन्दर ग़ज़ल हुई है आदरणीय अलबेला जी । … …हार्दिक बधाई आपको </span></p> आदरणीय गिरिराजजी, आपके शेर प्…tag:openbooks.ning.com,2013-12-29:5170231:Comment:4941702013-12-29T18:20:07.065ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय गिरिराजजी, आपके शेर प्रभावित करते हैं.. <br/>सादर बधाइयाँ<br/><br/></p>
<p>आदरणीय गिरिराजजी, आपके शेर प्रभावित करते हैं.. <br/>सादर बधाइयाँ<br/><br/></p> वो सिंहासन पे बैठा बड़े न…tag:openbooks.ning.com,2013-12-29:5170231:Comment:4942452013-12-29T18:19:58.133Zram shiromani pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
<p>वो सिंहासन पे बैठा बड़े नाज से </p>
<p>इस शहर का जो गुंडा था माना हुआ</p>
<p></p>
<p>दोस्तों - दुश्मनों को लगे जानने</p>
<p>जब से गैरों के घर आना जाना हुआ///////जय हो... वाह क्या कहने बहुत खूब आदरणीय अरुण निगम जी । … …हार्दिक बधाई आपको </p>
<p> </p>
<p>वो सिंहासन पे बैठा बड़े नाज से </p>
<p>इस शहर का जो गुंडा था माना हुआ</p>
<p></p>
<p>दोस्तों - दुश्मनों को लगे जानने</p>
<p>जब से गैरों के घर आना जाना हुआ///////जय हो... वाह क्या कहने बहुत खूब आदरणीय अरुण निगम जी । … …हार्दिक बधाई आपको </p>
<p> </p> आपका ख़्वाब में रोज़ आना हुआ दि…tag:openbooks.ning.com,2013-12-29:5170231:Comment:4940782013-12-29T18:17:49.293Zram shiromani pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
<p><span>आपका ख़्वाब में रोज़ आना हुआ </span><br/><span>दिल मुनक्का हुआ, दिल मखाना हुआ </span><br/><br/><span>एक शजर पत्थरों का दिवाना हुआ </span><br/><span>बस ये छोटा सा किस्सा फ़साना हुआ </span><br/><br/><span>हम ग़ज़ल को निगाहों से पीने लगे </span><br/><span>तब कहीं जा के दिल शायराना हुआ //////////////वाह क्या कहने बहुत खूब आदरणीय वीनस भाई जी । … …हार्दिक बधाई आपको </span></p>
<p><span>आपका ख़्वाब में रोज़ आना हुआ </span><br/><span>दिल मुनक्का हुआ, दिल मखाना हुआ </span><br/><br/><span>एक शजर पत्थरों का दिवाना हुआ </span><br/><span>बस ये छोटा सा किस्सा फ़साना हुआ </span><br/><br/><span>हम ग़ज़ल को निगाहों से पीने लगे </span><br/><span>तब कहीं जा के दिल शायराना हुआ //////////////वाह क्या कहने बहुत खूब आदरणीय वीनस भाई जी । … …हार्दिक बधाई आपको </span></p>