"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-35 (विषय: दिवास्वप्न) - Open Books Online2024-03-29T11:27:07Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/35-2?commentId=5170231%3AComment%3A916489&feed=yes&xn_auth=noआदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2018-02-28:5170231:Comment:9170552018-02-28T19:23:29.663ZMohammed Arifhttp://openbooks.ning.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब,</p>
<p> रचना के अनुमोदन और उत्साहजनक टिप्पणी का दिली आभार व्यक्त करता हूँ ।</p>
<p> पत्र से ही स्पष्ट है कि लड़की ज़्यादती की शिकार है । इस घटना को वह भुला रही पाई । आख़िरकार वह अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर संन्यास लेने का निर्णय ले लेती है क्योंकि उसके अंदर विरक्ति भाव आ जाता है । सादर ।</p>
<p>आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब,</p>
<p> रचना के अनुमोदन और उत्साहजनक टिप्पणी का दिली आभार व्यक्त करता हूँ ।</p>
<p> पत्र से ही स्पष्ट है कि लड़की ज़्यादती की शिकार है । इस घटना को वह भुला रही पाई । आख़िरकार वह अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर संन्यास लेने का निर्णय ले लेती है क्योंकि उसके अंदर विरक्ति भाव आ जाता है । सादर ।</p> आदरणीय सुनील वर्मा जी आदाब,
…tag:openbooks.ning.com,2018-02-28:5170231:Comment:9171522018-02-28T19:16:13.370ZMohammed Arifhttp://openbooks.ning.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय सुनील वर्मा जी आदाब,</p>
<p> आपका यह कहना कि " यह पत्र कथा की नायिका द्वारा दीक्षा लेने के पूर्व लिखा गया होता तो फिर भी प्रभावोत्पादक होता " तो आदरणीय मैं यहाँ स्पष्ट कर दूँ कि यह दीक्षा के पूर्व लिखा गया ही पत्र है जो अपने मम्मी-पापा को अवगत करवा रही है । अभी संन्यास लिया नहीं है । संन्यास के पहले सुरभि बतलाना चाहती है कि मैं आचार्य निश्छल सागर जी से। दीक्षा लूँगी और उन्होने मुझे कनकप्रिया नाम दिया है । आप ही बताइए कि यदि कोई बड़ा क़दम उठाने जा रहा तो…</p>
<p>आदरणीय सुनील वर्मा जी आदाब,</p>
<p> आपका यह कहना कि " यह पत्र कथा की नायिका द्वारा दीक्षा लेने के पूर्व लिखा गया होता तो फिर भी प्रभावोत्पादक होता " तो आदरणीय मैं यहाँ स्पष्ट कर दूँ कि यह दीक्षा के पूर्व लिखा गया ही पत्र है जो अपने मम्मी-पापा को अवगत करवा रही है । अभी संन्यास लिया नहीं है । संन्यास के पहले सुरभि बतलाना चाहती है कि मैं आचार्य निश्छल सागर जी से। दीक्षा लूँगी और उन्होने मुझे कनकप्रिया नाम दिया है । आप ही बताइए कि यदि कोई बड़ा क़दम उठाने जा रहा तो क्या वह अपने परिवार को अवगत नहीं करवाएगा ? संन्यास लेने की भी अपनी एक निश्चत प्रक्रिया होती है जिससे गुज़रना होता है । आशा है आप मेरे कहने का आशय समझ गए होंगे । सादर ।</p> जी शुक्रिया।tag:openbooks.ning.com,2018-02-28:5170231:Comment:9169582018-02-28T19:00:18.159ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>जी शुक्रिया।</p>
<p>जी शुक्रिया।</p> आदरणीय सुनील वर्मा जी आदाब,
…tag:openbooks.ning.com,2018-02-28:5170231:Comment:9168692018-02-28T18:58:47.558ZMohammed Arifhttp://openbooks.ning.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय सुनील वर्मा जी आदाब,</p>
<p> लघुकथा पर आपकी लगातार विरोधाभासी टिप्णियाँ आ रही है । यह आपके भयंकर विरोधाभास को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है । एक ओर तो आप कहते हैं कि मैं केवल अपने विचार साझा कर रहा हूँ और दूसरी ओर आकर्षित से कथा स्वीकार करने इंकार कर रहे हैं । आप सचमुच में कथा पर निर्णय नहीं ले पा रहे हैं । शायद आपने ज़ल्दबाज़ी में टिप्पणी कर बैठे हैं । यह आपकी हड़बड़ाहट को दर्शाता है ।</p>
<p> आगे आप कहते हैं कि मैं इसमें लघुकथा नहीं…</p>
<p>आदरणीय सुनील वर्मा जी आदाब,</p>
<p> लघुकथा पर आपकी लगातार विरोधाभासी टिप्णियाँ आ रही है । यह आपके भयंकर विरोधाभास को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है । एक ओर तो आप कहते हैं कि मैं केवल अपने विचार साझा कर रहा हूँ और दूसरी ओर आकर्षित से कथा स्वीकार करने इंकार कर रहे हैं । आप सचमुच में कथा पर निर्णय नहीं ले पा रहे हैं । शायद आपने ज़ल्दबाज़ी में टिप्पणी कर बैठे हैं । यह आपकी हड़बड़ाहट को दर्शाता है ।</p>
<p> आगे आप कहते हैं कि मैं इसमें लघुकथा नहीं ढूँढ पाया । तो आदरणीय मुझे यह तो बताइए कि आप आख़िर एक मुकम्मल लघुकथा में और कौन-सी अन्य लघुकथा ढूँढना चाहेंगे । सादर ।</p> बहुत २ धन्यवाद आदरणीय तेज़ वी…tag:openbooks.ning.com,2018-02-28:5170231:Comment:9171512018-02-28T18:55:50.525ZBarkha Shuklahttp://openbooks.ning.com/profile/BarkhaShukla
<p>बहुत २ धन्यवाद आदरणीय तेज़ वीर जी आभार ,सादर </p>
<p>बहुत २ धन्यवाद आदरणीय तेज़ वीर जी आभार ,सादर </p> बहुत २ धन्यवाद आदरणीय ओम जी ,…tag:openbooks.ning.com,2018-02-28:5170231:Comment:9170522018-02-28T18:53:35.982ZBarkha Shuklahttp://openbooks.ning.com/profile/BarkhaShukla
<p>बहुत २ धन्यवाद आदरणीय ओम जी ,आभार ,सादर </p>
<p>बहुत २ धन्यवाद आदरणीय ओम जी ,आभार ,सादर </p> बहुत २ धन्यवाद आदरणीय उस्मानी…tag:openbooks.ning.com,2018-02-28:5170231:Comment:9171502018-02-28T18:52:31.730ZBarkha Shuklahttp://openbooks.ning.com/profile/BarkhaShukla
<p>बहुत २ धन्यवाद आदरणीय उस्मानी जी ,आभार ,सादर </p>
<p>बहुत २ धन्यवाद आदरणीय उस्मानी जी ,आभार ,सादर </p> बहुत २ धन्यवाद आदरणीय वीरेंद्…tag:openbooks.ning.com,2018-02-28:5170231:Comment:9168682018-02-28T18:50:56.520ZBarkha Shuklahttp://openbooks.ning.com/profile/BarkhaShukla
<p>बहुत २ धन्यवाद आदरणीय वीरेंद्र सर जी ,आभार ,सादर </p>
<p>बहुत २ धन्यवाद आदरणीय वीरेंद्र सर जी ,आभार ,सादर </p> बहुत २ धन्यवाद आदरणीय कल्पना…tag:openbooks.ning.com,2018-02-28:5170231:Comment:9168672018-02-28T18:49:20.499ZBarkha Shuklahttp://openbooks.ning.com/profile/BarkhaShukla
<p>बहुत २ धन्यवाद आदरणीय कल्पना जी ,आभार ,सादर </p>
<p>बहुत २ धन्यवाद आदरणीय कल्पना जी ,आभार ,सादर </p> बहुत २ धन्यवाद आदरणीय रवि सर…tag:openbooks.ning.com,2018-02-28:5170231:Comment:9171492018-02-28T18:48:09.450ZBarkha Shuklahttp://openbooks.ning.com/profile/BarkhaShukla
<p>बहुत २ धन्यवाद आदरणीय रवि सर जी ,आपके सुझाव पर ध्यान देकर लिखने का प्रयास करूँगी ,आपने रचना पर समय दिया आभार ,आगे भी आपका मार्गदर्शन मिला रहे ,सादर </p>
<p>बहुत २ धन्यवाद आदरणीय रवि सर जी ,आपके सुझाव पर ध्यान देकर लिखने का प्रयास करूँगी ,आपने रचना पर समय दिया आभार ,आगे भी आपका मार्गदर्शन मिला रहे ,सादर </p>