ओबीओ लाईव लघुकथा गोष्ठी अंक-31 में सम्मिलित सभी लघुकथाएँ - Open Books Online2024-03-29T06:43:15Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/31-2?commentId=5170231%3AComment%3A896456&x=1&feed=yes&xn_auth=noहार्दिक आभार, आपकी कमी पूरे आ…tag:openbooks.ning.com,2017-11-12:5170231:Comment:8964562017-11-12T09:50:42.776Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हार्दिक आभार, आपकी कमी पूरे आयोजन में महसूस की जाती रही आ० नीता कसार जी.</p>
<p>हार्दिक आभार, आपकी कमी पूरे आयोजन में महसूस की जाती रही आ० नीता कसार जी.</p> हार्दिक आभार आ० तसदीक़ अहमद खा…tag:openbooks.ning.com,2017-11-07:5170231:Comment:8955522017-11-07T04:48:46.298Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हार्दिक आभार आ० तसदीक़ अहमद खान साहिब, आपकी मुबारकबाद सर आँखों पर. </p>
<p>हार्दिक आभार आ० तसदीक़ अहमद खान साहिब, आपकी मुबारकबाद सर आँखों पर. </p> मुहतरम जनाब योगराज साहिब ,ओ ब…tag:openbooks.ning.com,2017-11-03:5170231:Comment:8951212017-11-03T10:19:19.304ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
मुहतरम जनाब योगराज साहिब ,ओ बी ओ लाइव लघुकथा गोष्टी अंक 31 के त्वरित संकलन और कामयाब संचालन के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
मुहतरम जनाब योगराज साहिब ,ओ बी ओ लाइव लघुकथा गोष्टी अंक 31 के त्वरित संकलन और कामयाब संचालन के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं मैं सभी साथियों की टिप्पणियों…tag:openbooks.ning.com,2017-11-02:5170231:Comment:8945752017-11-02T08:04:26.577Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
मैं सभी साथियों की टिप्पणियों मार्गदर्शन के साथ एतद द्वारा अपनी संशोधित रचना प्रेषित कर रहा हूं अवलोकनार्थ। यदि यह सही हो, तो कृपया संकलन में तीसरे स्थान पर प्रतिस्थापित कर दीजिए। सादर<br></br>
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श्राद्ध (लघुकथा)<br></br>
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"पंडित जी श्राद्ध के लिए क्या कह रहे थे?" मेज पर रखे अखबार को हाथ में लेते हुए नेहा ने प्रश्न किया।<br></br>
राजेश थोड़ा मुँह बिचकाते हुए बोला- 'अरे कहेंगे क्या? वही ढोंग ढकोसला , सनातन परम्परा के नाम पर गायों का दान, ब्राह्मणों को खिलाना वगैरह वगैरह..!<br></br>
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"तो क्या…
मैं सभी साथियों की टिप्पणियों मार्गदर्शन के साथ एतद द्वारा अपनी संशोधित रचना प्रेषित कर रहा हूं अवलोकनार्थ। यदि यह सही हो, तो कृपया संकलन में तीसरे स्थान पर प्रतिस्थापित कर दीजिए। सादर<br/>
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श्राद्ध (लघुकथा)<br/>
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"पंडित जी श्राद्ध के लिए क्या कह रहे थे?" मेज पर रखे अखबार को हाथ में लेते हुए नेहा ने प्रश्न किया।<br/>
राजेश थोड़ा मुँह बिचकाते हुए बोला- 'अरे कहेंगे क्या? वही ढोंग ढकोसला , सनातन परम्परा के नाम पर गायों का दान, ब्राह्मणों को खिलाना वगैरह वगैरह..!<br/>
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"तो क्या आप मम्मी पापा का श्राद्ध नहीं करेंगे?" नेहा राजेश की ओर देखती हुई बोली।<br/>
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एकदम से गम्भीर होते हुए राजेश बोला- "अभी तक वे जीवित हैं या नहीं, इसको बिना जाने ही?"<br/>
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नेहा राजेश के मनोभावों को भाँपते हुए तुरन्त बोली- "आप कितने दिन यूँही अपने मन को दिलासा दिलाते रहेंगे! केदारनाथ त्रासदी के भी 12 साल हो गए। अगर वे जीवित होते तो अब तक घर आ गए होते।"<br/>
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राजेश भी उदास सा होकर बोल पड़ा- "हाँ नेहा तुम ठीक कहती हो, पर फ़रिश्ते इस कदर मुझसे दूर चले जायेंगे, कभी सोचा नहीं था"<br/>
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नेहा राजेश के आँखो में देखते हुए बोली- "होनी पर किसका वश है? अब तो बस.."।<br/>
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राजेश बोल पड़ा- "हाँ नेहा! मैं भी सोच रहा हूँ कि अब उनका श्राद्ध कर ही दिया जाए, पर अलग ढंग से, न कि जैसे पंडित जी या समाज कह रहा है।'<br/>
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"अलग ढंग से का क्या मतलब? खुलकर बताइए।" यह कहते हुए नेहा भी राजेश के सामने पड़े सोफे पर बैठ गईं।<br/>
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राजेश बेहद गम्भीर होते हुए बोला- "नेहा क्या अतीत में जिन फरिश्तों ने हमारे लिए रात दिन एक किया उनके प्रति हमारा कर्तव्य केवल श्राद्ध तक ही सीमित है?"<br/>
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नेहा राजेश के कंधे पर सिर रखते हुए बोली- "फिर भी जो सामाजिक मान्यताएं हैं, उनका निर्वहन करते हुए श्राद्ध तो करना ही होगा।"<br/>
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राजेश नेहा की ओर मुँह करके बोला- "नेहा मैं चाहता हूँ ऐसा श्राद्ध किया जाए कि मम्मी पापा की पदचाप निरन्तर मेरे कानों में गूँजती रहें। वे हमेशा मेरे आँखो के सामने रहें।"<br/>
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यह कैसे सम्भव है? नेहा माथे पर बल देती हुई बोल पड़ी।<br/>
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राजेश दार्शनिक अंदाज में बोला- 'संभव है नेहा! बस तुम्हे मेरा साथ देना होगा।'<br/>
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"मैं आपके हर नेक फैसले के साथ हूँ, पर पहले बताइए कि आपने सोचा क्या है" नेहा बोल पड़ी<br/>
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राजेश बोला-'हमने जो घर मम्मी पापा के नाम पर बनवाया है, क्यों न उसमें वृद्धाश्रम खोल दिया जाए। हम आश्रम में आने वाले बुजुर्गों की सेवा कर उन्ही में अपने मम्मी पापा का चेहरा देखेंगे|<br/>
तुम क्या कहती हो?<br/>
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'और श्राद्ध!' नेहा विस्मय भरी आवाज में बोली।<br/>
राजेश पुनः समझाते हुए बोला- "नेहा जब एक साथ अनेक फ़रिश्ते एकही छत के नीचे आराम से अपने आखिरी दिनों में चैन की साँस लेंगे तो मम्मी पापा की आत्माएं जहाँ भी होंगी, सकून महसूस करेंगी। और यहीं मम्मी पापा की सच्ची श्राद्ध होगी।"<br/>
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नेहा ने सहमति में सिर हिला दी। आद0 योगराज प्रभाकर जी सादर प्…tag:openbooks.ning.com,2017-11-02:5170231:Comment:8945712017-11-02T07:55:04.414Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 योगराज प्रभाकर जी सादर प्रणाम।,लघुकथा गोष्ठी अंक 31बहुत सफ़ल आयोजन रहा,जो आपके कुशल संचालन के कारण ही सम्भव हो स्का। त्वरित संकलन तो आपकी बहुत बड़ी विशेषता भी है,इस आयोजन की सफ़लता और त्वरित संकलन के लिए आपको दिल से बढाई बधाई देता हूँ । मेरी लघुकथा को को संकलन में स्थान देने हेतु आभार।
आद0 योगराज प्रभाकर जी सादर प्रणाम।,लघुकथा गोष्ठी अंक 31बहुत सफ़ल आयोजन रहा,जो आपके कुशल संचालन के कारण ही सम्भव हो स्का। त्वरित संकलन तो आपकी बहुत बड़ी विशेषता भी है,इस आयोजन की सफ़लता और त्वरित संकलन के लिए आपको दिल से बढाई बधाई देता हूँ । मेरी लघुकथा को को संकलन में स्थान देने हेतु आभार। आयोजन के कुशलतापूर्वक संचालन…tag:openbooks.ning.com,2017-11-01:5170231:Comment:8944332017-11-01T13:32:20.563ZNita Kasarhttp://openbooks.ning.com/profile/NitaKasar
आयोजन के कुशलतापूर्वक संचालन व सफलता के लिये बहुत बहुत शुभकामनायें आद० योगराज प्रभाकर जी ।।शीर्षकआधारित बहुत उम्दा कथायें पढने मिली ।कथा मैंने लिख कर रखी थी पर संतोष नही था इसलिये कथा के साथ उपस्थित नही हो पाई।।आयोजन की प्रतीक्षा हर बार रहती है।समय भी कम नही था ।सो इस बार के लिये क्षमासहित ।पुन:शुभकामनायें ओ बी ओ परिवार को सादर ।
आयोजन के कुशलतापूर्वक संचालन व सफलता के लिये बहुत बहुत शुभकामनायें आद० योगराज प्रभाकर जी ।।शीर्षकआधारित बहुत उम्दा कथायें पढने मिली ।कथा मैंने लिख कर रखी थी पर संतोष नही था इसलिये कथा के साथ उपस्थित नही हो पाई।।आयोजन की प्रतीक्षा हर बार रहती है।समय भी कम नही था ।सो इस बार के लिये क्षमासहित ।पुन:शुभकामनायें ओ बी ओ परिवार को सादर । कल तो सभी लघुकथाएं पढ़ नहीं पा…tag:openbooks.ning.com,2017-11-01:5170231:Comment:8947102017-11-01T09:45:54.167Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>कल तो सभी लघुकथाएं पढ़ नहीं पाया | अब संकलित रचनाएं ही पढ़ रहा हूँ | अपने संस्मरण के आधार पर रची लाघुकथा पसंद आएगी, विश्वास नहीं हो रहा था, और न ही रात को लेपटाप पर बैठ रहा था | पर रचना को सर्व श्री योगराज प्रभाकर जी, समर कबीर साहब, सहजाद उस्मानी जी, रवि प्रभाकर जी,महेंद्र कुमार जी, मो. आरिफ साहब, राजेश कुमारी जी, कल्पना भट्ट जी, प्रतिभा पांडे जी, नयना कानिटकर जी और तेजवीर सिंह जी सहित सभी की टिप्पणियों से प्रोत्साहन मिला,सभी का हृदयतल से आभारी हूँ | सभी का सादर अभिवादन !</p>
<p>कल तो सभी लघुकथाएं पढ़ नहीं पाया | अब संकलित रचनाएं ही पढ़ रहा हूँ | अपने संस्मरण के आधार पर रची लाघुकथा पसंद आएगी, विश्वास नहीं हो रहा था, और न ही रात को लेपटाप पर बैठ रहा था | पर रचना को सर्व श्री योगराज प्रभाकर जी, समर कबीर साहब, सहजाद उस्मानी जी, रवि प्रभाकर जी,महेंद्र कुमार जी, मो. आरिफ साहब, राजेश कुमारी जी, कल्पना भट्ट जी, प्रतिभा पांडे जी, नयना कानिटकर जी और तेजवीर सिंह जी सहित सभी की टिप्पणियों से प्रोत्साहन मिला,सभी का हृदयतल से आभारी हूँ | सभी का सादर अभिवादन !</p> आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी,…tag:openbooks.ning.com,2017-11-01:5170231:Comment:8942152017-11-01T07:54:08.513ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी, ओ बी ओ लाइव लघुकथा गोष्ठी अंक- ३१ के सफ़ल आयोजन,त्वरित संकलन और संपादन हेतु हार्दिक बधाई एवम शुभ कामनांयें।</p>
<p>आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी, ओ बी ओ लाइव लघुकथा गोष्ठी अंक- ३१ के सफ़ल आयोजन,त्वरित संकलन और संपादन हेतु हार्दिक बधाई एवम शुभ कामनांयें।</p> आदरणीय योगराज सर जी लघुकथा गो…tag:openbooks.ning.com,2017-11-01:5170231:Comment:8939012017-11-01T07:40:25.369ZBarkha Shuklahttp://openbooks.ning.com/profile/BarkhaShukla
आदरणीय योगराज सर जी लघुकथा गोष्ठी के सफल आयोजन के लिए बहुत २ बधाई ,मेरी लघुकथा को संकलन में शामिल करने के लिए बहुत २धन्यवाद ,सादर<br />
आदरणीय सर निवेदन है कि मेरी लघुकथा नीयत में “डोर बेल बजने पर नीना ने सोचा इस समय कौन होगा “की जगह “ डोर बेल बजने पर नीना बुदबुदाई इस समय कौन होगा ,”कर दीजिए ।सादर
आदरणीय योगराज सर जी लघुकथा गोष्ठी के सफल आयोजन के लिए बहुत २ बधाई ,मेरी लघुकथा को संकलन में शामिल करने के लिए बहुत २धन्यवाद ,सादर<br />
आदरणीय सर निवेदन है कि मेरी लघुकथा नीयत में “डोर बेल बजने पर नीना ने सोचा इस समय कौन होगा “की जगह “ डोर बेल बजने पर नीना बुदबुदाई इस समय कौन होगा ,”कर दीजिए ।सादर जनाब योगराज प्रभाकर साहिब आदा…tag:openbooks.ning.com,2017-11-01:5170231:Comment:8940302017-11-01T06:51:19.345ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब योगराज प्रभाकर साहिब आदाब,लघुकथा गोष्ठी अंक 31बहुत सफ़ल आयोजन रहा,जो आपके बहतरीन संचालन की बदौलत मुमकिन हो सका, और त्वरित संक्लन तो आपकी बहुत बड़ी ख़ूबी है ही,इस आयोजन की सफ़लता और त्वरित संक्लन के लिए आपको दिल से मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
जनाब योगराज प्रभाकर साहिब आदाब,लघुकथा गोष्ठी अंक 31बहुत सफ़ल आयोजन रहा,जो आपके बहतरीन संचालन की बदौलत मुमकिन हो सका, और त्वरित संक्लन तो आपकी बहुत बड़ी ख़ूबी है ही,इस आयोजन की सफ़लता और त्वरित संक्लन के लिए आपको दिल से मुबारकबाद पेश करता हूँ ।