"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-28 (विषय: सुख) - Open Books Online2024-03-29T06:52:41Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/28-1?feed=yes&xn_auth=noआज कल की लडकियां शादी ब्याह क…tag:openbooks.ning.com,2017-07-31:5170231:Comment:8708742017-07-31T18:30:07.332Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आज कल की लडकियां शादी ब्याह कर करके गृहस्थी के झंझट में इसी लिए पडना नहीं चाहती </p>
<p>आज कल की लडकियां शादी ब्याह कर करके गृहस्थी के झंझट में इसी लिए पडना नहीं चाहती </p> अंततः आपकी भी प्रोत्साहित करत…tag:openbooks.ning.com,2017-07-31:5170231:Comment:8707052017-07-31T18:29:47.455ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
अंततः आपकी भी प्रोत्साहित करती टिप्पणी के लिए सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय जानकी बिष्ट वाही जी।
अंततः आपकी भी प्रोत्साहित करती टिप्पणी के लिए सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय जानकी बिष्ट वाही जी। रचना पसंदीदगी के लिए दिल से श…tag:openbooks.ning.com,2017-07-31:5170231:Comment:8708732017-07-31T18:29:29.407Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>रचना पसंदीदगी के लिए दिल से शुक्रिया आ० राजेश कुमारी जी.</p>
<p>रचना पसंदीदगी के लिए दिल से शुक्रिया आ० राजेश कुमारी जी.</p> दिल से शुक्रिया सखी।मनोबल बढा…tag:openbooks.ning.com,2017-07-31:5170231:Comment:8707752017-07-31T18:28:38.093ZJanki wahiehttp://openbooks.ning.com/profile/Jankiwahie
दिल से शुक्रिया सखी।मनोबल बढाने के लिए
दिल से शुक्रिया सखी।मनोबल बढाने के लिए आजकल इस तरह की घटनाएं बढ़ती ही…tag:openbooks.ning.com,2017-07-31:5170231:Comment:8708722017-07-31T18:28:35.641ZArchana Tripathihttp://openbooks.ning.com/profile/ArchanaTripathi
आजकल इस तरह की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं ।बफहिया कथा के लिए हार्दिक बधाई आ.नीता कसार जी
आजकल इस तरह की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं ।बफहिया कथा के लिए हार्दिक बधाई आ.नीता कसार जी बहुत खूब बहुत अच्छे तरीके से…tag:openbooks.ning.com,2017-07-31:5170231:Comment:8708712017-07-31T18:28:23.835Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>बहुत खूब बहुत अच्छे तरीके से दो स्त्रियों के मन के भाव स्पष्ट किये हैं एक समझदार एक आधुनिकता की शिकार </p>
<p>पन्च लाइन गज़ब की है ढेरों बधाई </p>
<p>बहुत खूब बहुत अच्छे तरीके से दो स्त्रियों के मन के भाव स्पष्ट किये हैं एक समझदार एक आधुनिकता की शिकार </p>
<p>पन्च लाइन गज़ब की है ढेरों बधाई </p> आ.वीर जी बहुत बढ़िया लघुकथा हु…tag:openbooks.ning.com,2017-07-31:5170231:Comment:8709552017-07-31T18:25:54.335Zनयना(आरती)कानिटकरhttp://openbooks.ning.com/profile/NayanaAratiKanitkar
आ.वीर जी बहुत बढ़िया लघुकथा हुई हैं। बधाई स्वीकार करे।
आ.वीर जी बहुत बढ़िया लघुकथा हुई हैं। बधाई स्वीकार करे। आदरणीय साथियो, इस बार का आयोज…tag:openbooks.ning.com,2017-07-31:5170231:Comment:8707032017-07-31T18:25:22.515Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p><span>आदरणीय साथियो, इस बार का आयोजन उम्मीद से कहीं बढ़कर कामयाब रहा. इतनी उच्चस्तरीय रचनाएँ शायद ही पहले किसी गोष्ठी में आई हो. हालाकि "दागो और भागो" की प्रवृत्ति इस गोष्ठी में भी दिखी जो पीड़ादायक है, लेकिन कुल मिलाकर यह आयोजन बेहद सफल रहा जिस हेतु सभी मित्रों का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ. कई नए सदस्यों का पहली बार आयोजन में भाग लेना भी एक शुभ संकेत रहा. बहरहाल, अब अगली मुलाकात "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक 29 में </span><font color="#FF0000">30 से 31 अगस्त 2017</font><span> को होगी…</span></p>
<p><span>आदरणीय साथियो, इस बार का आयोजन उम्मीद से कहीं बढ़कर कामयाब रहा. इतनी उच्चस्तरीय रचनाएँ शायद ही पहले किसी गोष्ठी में आई हो. हालाकि "दागो और भागो" की प्रवृत्ति इस गोष्ठी में भी दिखी जो पीड़ादायक है, लेकिन कुल मिलाकर यह आयोजन बेहद सफल रहा जिस हेतु सभी मित्रों का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ. कई नए सदस्यों का पहली बार आयोजन में भाग लेना भी एक शुभ संकेत रहा. बहरहाल, अब अगली मुलाकात "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक 29 में </span><font color="#FF0000">30 से 31 अगस्त 2017</font><span> को होगी जिसका </span><b><font color="#FF0000">विषय होगा - "अनकहा".</font></b><span> वैसे भी "अनकहा" लघुकथा में विशेष महत्व पूर्ण माना गया है. तो मुझे आशा है कि हमारे लघुकथाकार इस विषय पर भी अवश्य ही सार्थक सृजन करेंगे.</span></p> वाह्ह्ह्ह आज नीलेश भैया इस आय…tag:openbooks.ning.com,2017-07-31:5170231:Comment:8708702017-07-31T18:23:53.655Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>वाह्ह्ह्ह आज नीलेश भैया इस आयोजन में ? बहुत खूब ..रचना भी बहुत सार्थक सामयिक हुई है बहुत बहुत बधाई भैया </p>
<p>वाह्ह्ह्ह आज नीलेश भैया इस आयोजन में ? बहुत खूब ..रचना भी बहुत सार्थक सामयिक हुई है बहुत बहुत बधाई भैया </p> बहुत बढ़िया कथा शहज़ाद जी,कुछ ह…tag:openbooks.ning.com,2017-07-31:5170231:Comment:8708692017-07-31T18:23:48.308ZJanki wahiehttp://openbooks.ning.com/profile/Jankiwahie
बहुत बढ़िया कथा शहज़ाद जी,कुछ हटकर इस बार बधाई।
बहुत बढ़िया कथा शहज़ाद जी,कुछ हटकर इस बार बधाई।