"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-136 - Open Books Online2024-03-29T01:24:01Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/136-1?feed=yes&xn_auth=noआ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन।…tag:openbooks.ning.com,2022-02-13:5170231:Comment:10792362022-02-13T17:49:34.546Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।</p> आ. नयना जी, प्रदत्त विषय पर अ…tag:openbooks.ning.com,2022-02-13:5170231:Comment:10793252022-02-13T16:41:03.793Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. नयना जी, प्रदत्त विषय पर अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. नयना जी, प्रदत्त विषय पर अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई।</p> दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा…tag:openbooks.ning.com,2022-02-13:5170231:Comment:10793242022-02-13T14:45:10.667Zpratibha pandehttp://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी</p>
<p>दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी</p> हार्दिक आभार आपका, रचना पर उप…tag:openbooks.ning.com,2022-02-13:5170231:Comment:10791462022-02-13T14:42:15.706Zpratibha pandehttp://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>हार्दिक आभार आपका, रचना पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये</p>
<p>हार्दिक आभार आपका, रचना पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये</p> प्रेम के अलग अलग भावों रंगों…tag:openbooks.ning.com,2022-02-13:5170231:Comment:10791042022-02-13T14:40:23.246Zpratibha pandehttp://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>प्रेम के अलग अलग भावों रंगों को पिरोते हुए सुन्दर दोहावली के लिये बधाई आदरणीय</p>
<p>प्रेम के अलग अलग भावों रंगों को पिरोते हुए सुन्दर दोहावली के लिये बधाई आदरणीय</p> अन्तिम दोहे के प्रथम चरण मे…tag:openbooks.ning.com,2022-02-13:5170231:Comment:10792352022-02-13T13:38:29.867ZChetan Prakashhttp://openbooks.ning.com/profile/ChetanPrakash68
<p>अन्तिम दोहे के प्रथम चरण में , "साथ" स्थिर के स्थान पर, कृपया पढें !</p>
<p>अन्तिम दोहे के प्रथम चरण में , "साथ" स्थिर के स्थान पर, कृपया पढें !</p> बहुत-बहुत ही खूब दोहे कहे है…tag:openbooks.ning.com,2022-02-13:5170231:Comment:10792342022-02-13T13:35:05.293Zनयना(आरती)कानिटकरhttp://openbooks.ning.com/profile/NayanaAratiKanitkar
<p>बहुत-बहुत ही खूब दोहे कहे है आपने <br/><span>अनुभव देत मिठास का, प्रेम हुआ जो प्राप्त।</span><br/><span>नीम करेला वह लगे, असमय अगर समाप्त।---वाह वाह</span></p>
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<p>बहुत-बहुत ही खूब दोहे कहे है आपने <br/><span>अनुभव देत मिठास का, प्रेम हुआ जो प्राप्त।</span><br/><span>नीम करेला वह लगे, असमय अगर समाप्त।---वाह वाह</span></p>
<p></p> बहुत बहुत धन्यवाद दीदी--आपके…tag:openbooks.ning.com,2022-02-13:5170231:Comment:10793232022-02-13T13:33:24.654Zनयना(आरती)कानिटकरhttp://openbooks.ning.com/profile/NayanaAratiKanitkar
<p>बहुत बहुत धन्यवाद दीदी--आपके सुझावो की हमेशा प्रतिक्षा रहती है</p>
<p>बहुत बहुत धन्यवाद दीदी--आपके सुझावो की हमेशा प्रतिक्षा रहती है</p> आ.प्रतिभा दी , बहुत ही खास दो…tag:openbooks.ning.com,2022-02-13:5170231:Comment:10791452022-02-13T13:32:02.737Zनयना(आरती)कानिटकरhttp://openbooks.ning.com/profile/NayanaAratiKanitkar
<p>आ.प्रतिभा दी , बहुत ही खास दोहे कहे आपने मुझे ये बहुत ही पसन्द अया</p>
<div dir="auto">कभी प्यार नमकीन है, कभी मधुर सी प्यास।</div>
<div dir="auto">रहे साथ तो आम है, दूर रहे तो खास।।-----वस्तविकता है कुछ दूरी जरुरी है कभी-कभी प्यार को समझने के लिए <br/><br/><div dir="auto">मैं पतझड़ की शुष्कता, तुम बासंती प्यार।</div>
<div dir="auto">मैं थकता सप्ताह तुम, चैन भरा इतवार।।--क्या कहने</div>
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<p>आ.प्रतिभा दी , बहुत ही खास दोहे कहे आपने मुझे ये बहुत ही पसन्द अया</p>
<div dir="auto">कभी प्यार नमकीन है, कभी मधुर सी प्यास।</div>
<div dir="auto">रहे साथ तो आम है, दूर रहे तो खास।।-----वस्तविकता है कुछ दूरी जरुरी है कभी-कभी प्यार को समझने के लिए <br/><br/><div dir="auto">मैं पतझड़ की शुष्कता, तुम बासंती प्यार।</div>
<div dir="auto">मैं थकता सप्ताह तुम, चैन भरा इतवार।।--क्या कहने</div>
</div> पलाश बनकर आना// वाह .. प्रेम…tag:openbooks.ning.com,2022-02-13:5170231:Comment:10791432022-02-13T13:03:45.640Zpratibha pandehttp://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>पलाश बनकर आना// वाह .. प्रेम आस और चाहना.. बहुत खूब। बधाई आदरणीया नयना जी इस खूबसूरत छंदमुक्त रचना के लिये</p>
<p>पलाश बनकर आना// वाह .. प्रेम आस और चाहना.. बहुत खूब। बधाई आदरणीया नयना जी इस खूबसूरत छंदमुक्त रचना के लिये</p>