"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-132 - Open Books Online2024-03-29T12:19:29Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/132-1?xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noउत्साहवर्धन के लिए सादर आभार…tag:openbooks.ning.com,2021-10-17:5170231:Comment:10712272021-10-17T01:02:50.919Zडॉ छोटेलाल सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/20ch7d01r75yx
<p>उत्साहवर्धन के लिए सादर आभार आदरणीय श्रीवास्तव जी</p>
<p>उत्साहवर्धन के लिए सादर आभार आदरणीय श्रीवास्तव जी</p> प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवा…tag:openbooks.ning.com,2021-10-16:5170231:Comment:10712242021-10-16T16:01:43.352Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय</p>
<p>प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय</p> आदरणीय भाई छोटेलालजी
विषय पर…tag:openbooks.ning.com,2021-10-16:5170231:Comment:10713162021-10-16T15:57:27.302Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीय भाई छोटेलालजी</p>
<p>विषय पर अच्छी गजल हुई है| हार्दिक बधाई | गजल विधा के बारे में प्रबुद्धजन बतायेंगे|</p>
<p>भाग्य के लिए शब्द <span style="font-size: 12pt;">नियति</span> है| </p>
<p></p>
<p></p>
<p>आदरणीय भाई छोटेलालजी</p>
<p>विषय पर अच्छी गजल हुई है| हार्दिक बधाई | गजल विधा के बारे में प्रबुद्धजन बतायेंगे|</p>
<p>भाग्य के लिए शब्द <span style="font-size: 12pt;">नियति</span> है| </p>
<p></p>
<p></p> सादर अभिवादन आदरणीय आपने बहुत…tag:openbooks.ning.com,2021-10-16:5170231:Comment:10709062021-10-16T15:56:47.722Zडॉ छोटेलाल सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/20ch7d01r75yx
<p>सादर अभिवादन आदरणीय आपने बहुत ही सुंदर लिखा सादर शुभकामनाएं</p>
<p>सादर अभिवादन आदरणीय आपने बहुत ही सुंदर लिखा सादर शुभकामनाएं</p> हे विघ्न विनाशक
अत्याचार ह…tag:openbooks.ning.com,2021-10-16:5170231:Comment:10712192021-10-16T15:40:58.859Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p><strong>हे विघ्न विनाशक </strong></p>
<p></p>
<p>अत्याचार है अनाचार है, गणपति इसका निदान करें।</p>
<p>कुछ न सूझे तो हे बप्पा , मेरे कथन का ध्यान धरें॥</p>
<p>विघ्न डालिए उनके कार्य में, जो हैं देश के भ्रष्टाचारी।</p>
<p>लेकिन उन्हें निराश ना करें, द्वार जो आये सदाचारी॥</p>
<p></p>
<p><b>बालीवुड</b></p>
<p></p>
<p></p>
<p><strong>भ्रष्ट लोग हैं बालीवुड में, वहाँ नशेड़ी हैं ज्यादा | …</strong></p>
<p><strong>हे विघ्न विनाशक </strong></p>
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<p>अत्याचार है अनाचार है, गणपति इसका निदान करें।</p>
<p>कुछ न सूझे तो हे बप्पा , मेरे कथन का ध्यान धरें॥</p>
<p>विघ्न डालिए उनके कार्य में, जो हैं देश के भ्रष्टाचारी।</p>
<p>लेकिन उन्हें निराश ना करें, द्वार जो आये सदाचारी॥</p>
<p></p>
<p><b>बालीवुड</b></p>
<p></p>
<p></p>
<p><strong>भ्रष्ट लोग हैं बालीवुड में, वहाँ नशेड़ी हैं ज्यादा | </strong> लक्ष्मण रेखा कहीं नहीं है, ना ही कोई मर्यादा॥ <br/> हे मम्मा हे डैड सोचिए, धन किसलिए कमाना है ? <br/> किये न बच्चों को संस्कारित, कहते नया जमाना है॥</p>
<p></p>
<p><strong>गठबंधन का सहारा</strong></p>
<p> </p>
<p>अच्छे दिन की आस में, सभी विरोधी साथ।</p>
<p>जीवन भर गाली दिए, मिला लिए फिर हाथ॥</p>
<p>मेढक नागिन नेवला, सत्ता की है प्यास।</p>
<p>गठबंधन से जीत का, पूरा है विश्वास॥</p>
<p><strong> </strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p><strong>मौलिक अप्रकाशित</strong></p> गज़ल
जगत में कहीं कुछ हमारा न…tag:openbooks.ning.com,2021-10-16:5170231:Comment:10709002021-10-16T13:13:57.038Zडॉ छोटेलाल सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/20ch7d01r75yx
<p>गज़ल</p>
<p></p>
<p>जगत में कहीं कुछ हमारा न होता<br></br>जो माता पिता का सहारा न होता</p>
<p></p>
<p>ये सूरत किसी भी लायक न होती<br></br>अगर भोली माँ ने सँवारा न होता</p>
<p></p>
<p>उठाती न पीड़ा उदर में अगर माँ<br></br>कभी पाँव मैंने पसारा न होता</p>
<p></p>
<p>लगाती न टीका कभी भाल पर माँ<br></br>कहीं इस नज़र का नज़ारा न होता</p>
<p></p>
<p>सदन में ये खुशियाँ दिखाई न देतीं<br></br>जो ममता से आँगन बहारा न होता</p>
<p></p>
<p>अगर माँ पिता जी छुड़ाते न दामन<br></br>जहाँ में कभी बेसहारा न होता</p>
<p></p>
<p>मुझे फ़ल सदा…</p>
<p>गज़ल</p>
<p></p>
<p>जगत में कहीं कुछ हमारा न होता<br/>जो माता पिता का सहारा न होता</p>
<p></p>
<p>ये सूरत किसी भी लायक न होती<br/>अगर भोली माँ ने सँवारा न होता</p>
<p></p>
<p>उठाती न पीड़ा उदर में अगर माँ<br/>कभी पाँव मैंने पसारा न होता</p>
<p></p>
<p>लगाती न टीका कभी भाल पर माँ<br/>कहीं इस नज़र का नज़ारा न होता</p>
<p></p>
<p>सदन में ये खुशियाँ दिखाई न देतीं<br/>जो ममता से आँगन बहारा न होता</p>
<p></p>
<p>अगर माँ पिता जी छुड़ाते न दामन<br/>जहाँ में कभी बेसहारा न होता</p>
<p></p>
<p>मुझे फ़ल सदा ही सुकर्मों का मिलता<br/>जो नियत से मैं भी नकारा न होता</p>
<p></p>
<p>मौलिक एवं अप्रकाशित</p> आयोजन में अभी तक एक भी प्रतिभ…tag:openbooks.ning.com,2021-10-16:5170231:Comment:10711632021-10-16T10:16:46.207ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>आयोजन में अभी तक एक भी प्रतिभागी नही ......!!</p>
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<p>आयोजन में अभी तक एक भी प्रतिभागी नही ......!!</p>
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