"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-124 - Open Books Online2024-03-28T09:01:02Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/124-1?commentId=5170231%3AComment%3A1050408&feed=yes&xn_auth=noलेखक डॉ अरुण कुमार शास्त्री […tag:openbooks.ning.com,2021-02-14:5170231:Comment:10504082021-02-14T18:20:01.735ZDR ARUN KUMAR SHASTRIhttp://openbooks.ning.com/profile/DRARUNKUMARSHASTRI
<p><strong>लेखक डॉ अरुण कुमार शास्त्री [ एक अबोध बालक // अरुण अतृप्त</strong> <br></br><br></br><strong>"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-124 में सहभागिता के लिए</strong> <br></br><br></br><strong>विधा *हास्य कविता* शीर्षक -** म्हारो वेलेंटाइन डे **</strong></p>
<p><br></br><span style="font-size: 14pt;">मैया मन्ने भी मनानो से अंग्रेजी त्यौहार</span> <br></br><span style="font-size: 14pt;">के बोलें से छोरा छोरी प्रेम दिवस की रार</span> <br></br><span style="font-size: 14pt;">मैया मन्ने भी मनानो से अंग्रेजी…</span></p>
<p><strong>लेखक डॉ अरुण कुमार शास्त्री [ एक अबोध बालक // अरुण अतृप्त</strong> <br/><br/><strong>"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-124 में सहभागिता के लिए</strong> <br/><br/><strong>विधा *हास्य कविता* शीर्षक -** म्हारो वेलेंटाइन डे **</strong></p>
<p><br/><span style="font-size: 14pt;">मैया मन्ने भी मनानो से अंग्रेजी त्यौहार</span> <br/><span style="font-size: 14pt;">के बोलें से छोरा छोरी प्रेम दिवस की रार</span> <br/><span style="font-size: 14pt;">मैया मन्ने भी मनानो से अंग्रेजी त्यौहार।।</span><br/><span style="font-size: 14pt;">तेहरा फरबरी कू मैं सू तेहरा की होइ</span> <br/><span style="font-size: 14pt;">उफ़न पड़ी से जोबन धारा जे सुण ले हर कोई</span> <br/><span style="font-size: 14pt;">मैया मन्ने भी मनानो से अंग्रेजी त्यौहार।।</span><br/><span style="font-size: 14pt;">चौदह तरीख के दिन की सुण के झुरझुरी से आवे</span> <br/><span style="font-size: 14pt;">अंग अंग बासंती कइसे ढ़ोल ढमक्का बाजे</span> <br/><span style="font-size: 14pt;">मैया मन्ने भी मनानो से अंग्रेजी त्यौहार।।</span><br/><span style="font-size: 14pt;">म्हारो गात करे अलबाद मन्ने मस्ती घणी सताबे</span> <br/><span style="font-size: 14pt;">टी वी चैनल मारन लागरे अर र र र आवाज</span> <br/><span style="font-size: 14pt;">मैया मन्ने भी मनानो से अंग्रेजी त्यौहार।।</span><br/><span style="font-size: 14pt;">वेलेंटाइन डे को वइसन हमने कका कोणी बेरा</span> <br/><span style="font-size: 14pt;">क्यूँ कर कइयाँ, कबसे इसको पड़ो रे रिवाज</span><br/><span style="font-size: 14pt;">मैया मन्ने भी मनानो से अंग्रेजी त्यौहार।।</span><br/><span style="font-size: 14pt;">लाली लिपस्टिक पोडर वोडर टिकली कुण्डल</span> <br/><span style="font-size: 14pt;">इक दिन खातर ऐ री माई मोरी तू दे दे मन्ने उधार</span><br/><span style="font-size: 14pt;">मैया मन्ने भी मनानो से अंग्रेजी त्यौहार।।</span><br/><span style="font-size: 14pt;">के बोलें से छोरा छोरी प्रेम दिवस की रार</span> <br/><span style="font-size: 14pt;">मैया मन्ने भी मनानो से अंग्रेजी त्यौहार।।</span></p>
<p><br/>मौलिक व् अप्रकाशित <br/><br/><br/></p> क्षमाप्रार्थी हूँ की इस तकनीक…tag:openbooks.ning.com,2021-02-14:5170231:Comment:10501012021-02-14T16:30:36.534Zराहुल निगम 'तिफ़्ल'http://openbooks.ning.com/profile/RahulNigam
<p>क्षमाप्रार्थी हूँ की इस तकनीकी ज्ञान से अभी अनभिज्ञ हूँ। इस दिशा में आप सुधीजनों से मार्गदर्शन अपेक्षित रहेगा।</p>
<p>आपको मेरा प्रयास पसंद आया इसके लिए तहे दिल से शुक्रिया।</p>
<p>क्षमाप्रार्थी हूँ की इस तकनीकी ज्ञान से अभी अनभिज्ञ हूँ। इस दिशा में आप सुधीजनों से मार्गदर्शन अपेक्षित रहेगा।</p>
<p>आपको मेरा प्रयास पसंद आया इसके लिए तहे दिल से शुक्रिया।</p> भाई राहुल जी, यह मंच सीखने सि…tag:openbooks.ning.com,2021-02-14:5170231:Comment:10503412021-02-14T15:38:11.400Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>भाई राहुल जी, यह मंच सीखने सिखाने के लिए ही है । गुणीं जनों के सानिन्ध्य में बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। बस उपस्थिति बनाए रखिए।</p>
<p>भाई राहुल जी, यह मंच सीखने सिखाने के लिए ही है । गुणीं जनों के सानिन्ध्य में बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। बस उपस्थिति बनाए रखिए।</p> आ. भाई राहुल जी, गजल का प्रया…tag:openbooks.ning.com,2021-02-14:5170231:Comment:10503402021-02-14T15:32:01.190Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई राहुल जी, गजल का प्रयास अच्छा है । हार्दिक बधाई । यदि अरकान लिख देते तो बेहतर होता।</p>
<p>आ. भाई राहुल जी, गजल का प्रयास अच्छा है । हार्दिक बधाई । यदि अरकान लिख देते तो बेहतर होता।</p> आदरणीय मुसाफ़िर जी एक छात्र क…tag:openbooks.ning.com,2021-02-14:5170231:Comment:10500932021-02-14T15:00:24.397Zराहुल निगम 'तिफ़्ल'http://openbooks.ning.com/profile/RahulNigam
आदरणीय मुसाफ़िर जी एक छात्र की तरह से इस समूह से जुड़ने की कोशिश कर रहा हूं। कई वर्षों से बिना छत्रछाया स्वतंत्र रूप से लिख रहा था। एक सुझाव पर इस मंच से जुड़ा हूं। ग़ज़ल के तकनीकी ज्ञान से परे लिखने का दुस्साहस करता रहता हूं पर इस मंच पर कुछ लिखने के पहले कुछ सीखने की कोशिश करूंगा। यद्यपि महोत्सव में कुछ लिखने का लोभ संवरण न कर सका इस लिए एक ग़ज़ल सी लिखी है। उचित मार्गदर्शन का आकांक्षी हूं। आज मेरी इस मंच पर पोस्ट रचना बिना किसी तालीम के है अतएव गुस्ताखी के लिए मुआफ़ी चाहूंगा।
आदरणीय मुसाफ़िर जी एक छात्र की तरह से इस समूह से जुड़ने की कोशिश कर रहा हूं। कई वर्षों से बिना छत्रछाया स्वतंत्र रूप से लिख रहा था। एक सुझाव पर इस मंच से जुड़ा हूं। ग़ज़ल के तकनीकी ज्ञान से परे लिखने का दुस्साहस करता रहता हूं पर इस मंच पर कुछ लिखने के पहले कुछ सीखने की कोशिश करूंगा। यद्यपि महोत्सव में कुछ लिखने का लोभ संवरण न कर सका इस लिए एक ग़ज़ल सी लिखी है। उचित मार्गदर्शन का आकांक्षी हूं। आज मेरी इस मंच पर पोस्ट रचना बिना किसी तालीम के है अतएव गुस्ताखी के लिए मुआफ़ी चाहूंगा। आ. भाई राहुल जी, सादर अभिवादन…tag:openbooks.ning.com,2021-02-14:5170231:Comment:10503372021-02-14T14:32:15.390Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई राहुल जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार ।</p>
<p></p>
<p>साथ ही ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत ।निरंतर उपस्थिति बनाए रखें और अपनी रचनाओं से रूबरू कराते रहिए । सादर</p>
<p>आ. भाई राहुल जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार ।</p>
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<p>साथ ही ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत ।निरंतर उपस्थिति बनाए रखें और अपनी रचनाओं से रूबरू कराते रहिए । सादर</p> मुसाफिर जी पहली बार पढ़ा आपको…tag:openbooks.ning.com,2021-02-14:5170231:Comment:10500812021-02-14T12:46:30.856Zराहुल निगम 'तिफ़्ल'http://openbooks.ning.com/profile/RahulNigam
<p>मुसाफिर जी पहली बार पढ़ा आपको और नया सदस्य हूँ। मज़ा आ गया पढ़ कर। बधाई स्वीकार करे</p>
<p>मुसाफिर जी पहली बार पढ़ा आपको और नया सदस्य हूँ। मज़ा आ गया पढ़ कर। बधाई स्वीकार करे</p> ग़ज़ल
है मेरा वो इश्क, है म…tag:openbooks.ning.com,2021-02-14:5170231:Comment:10503162021-02-14T12:23:17.146Zराहुल निगम 'तिफ़्ल'http://openbooks.ning.com/profile/RahulNigam
<div><p>ग़ज़ल</p>
<p></p>
</div>
<div>है मेरा वो इश्क, है मेरी वो जिन्दगी</div>
<div>ढूंढूं मैं हूं किसका इश्क़-ओ-जिंदगी</div>
<div>*</div>
<div>उसे उम्र भर चाहो जिसे पा न सको</div>
<div>वज्हे हासिल तमाम लुत्फ़-ओ-ज़िदगी</div>
<div>*</div>
<div>हिर्स-ओ-हवा डराए जाती है मौत से</div>
<div>बेलौस इश्क़ क्या जाने मर्ग-ओ-ज़िंदगी</div>
<div>*</div>
<div>'तिफ़्ल' इश़्क कर के भी देख लीजिए</div>
<div>बिन इश़्क क्या शुऊर-ए-उम्र-ओ जिंदगी</div>
<div><span>*</span></div>
<div><span>मौलिक व…</span></div>
<div><p>ग़ज़ल</p>
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<div>है मेरा वो इश्क, है मेरी वो जिन्दगी</div>
<div>ढूंढूं मैं हूं किसका इश्क़-ओ-जिंदगी</div>
<div>*</div>
<div>उसे उम्र भर चाहो जिसे पा न सको</div>
<div>वज्हे हासिल तमाम लुत्फ़-ओ-ज़िदगी</div>
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<div>हिर्स-ओ-हवा डराए जाती है मौत से</div>
<div>बेलौस इश्क़ क्या जाने मर्ग-ओ-ज़िंदगी</div>
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<div>'तिफ़्ल' इश़्क कर के भी देख लीजिए</div>
<div>बिन इश़्क क्या शुऊर-ए-उम्र-ओ जिंदगी</div>
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<div><span>मौलिक व अप्रकाशित</span></div> जी मुसाफिर जी माफ़ करें मात्र…tag:openbooks.ning.com,2021-02-14:5170231:Comment:10502192021-02-14T10:35:58.527ZAazi Tamaamhttp://openbooks.ning.com/profile/AaziTamaa
<p>जी मुसाफिर जी माफ़ करें मात्राओं पर मैंने ध्यान नहीं दिया</p>
<p></p>
<p>सप्रेम धन्यवाद</p>
<p></p>
<p>मार्गदर्शन करने के लिये दिल से शुक्रिया</p>
<p></p>
<p>जी मुसाफिर जी माफ़ करें मात्राओं पर मैंने ध्यान नहीं दिया</p>
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<p>सप्रेम धन्यवाद</p>
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<p>मार्गदर्शन करने के लिये दिल से शुक्रिया</p>
<p></p> आ. दिलबाग जी, प्रदत्त विषय पर…tag:openbooks.ning.com,2021-02-14:5170231:Comment:10499992021-02-14T09:58:35.347Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. दिलबाग जी, प्रदत्त विषय पर दोहों का प्रयास अच्छा है। हार्दिक बधाई । </p>
<p>भाई आज़ी तमाम थी जो सुधार सुझाया हो उसमें मात्राएँ अधिक हो रही हैं अतः यह सही रहेगा</p>
<p><span> डोरी बाँधो प्रेम की, दूर रहो या पास</span></p>
<p></p>
<p>आ. दिलबाग जी, प्रदत्त विषय पर दोहों का प्रयास अच्छा है। हार्दिक बधाई । </p>
<p>भाई आज़ी तमाम थी जो सुधार सुझाया हो उसमें मात्राएँ अधिक हो रही हैं अतः यह सही रहेगा</p>
<p><span> डोरी बाँधो प्रेम की, दूर रहो या पास</span></p>
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