"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-115 - Open Books Online2024-03-29T11:28:10Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/115?feed=yes&xn_auth=no"ओबीओ लाइव तरही मुशायरा"अंक-1…tag:openbooks.ning.com,2020-01-25:5170231:Comment:9999792020-01-25T18:16:32.886ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>"ओबीओ लाइव तरही मुशायरा"अंक-115 को सफ़ल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों का हार्दिक आभार व धन्यवाद।</p>
<p>"ओबीओ लाइव तरही मुशायरा"अंक-115 को सफ़ल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों का हार्दिक आभार व धन्यवाद।</p> जनाब दण्डपाणि नाहक़ जी आदाब,तर…tag:openbooks.ning.com,2020-01-25:5170231:Comment:9999782020-01-25T18:11:02.653ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब दण्डपाणि नाहक़ जी आदाब,तरही मिसरे पर ग़ज़ल अच्छी कही आपने,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब दण्डपाणि नाहक़ जी आदाब,तरही मिसरे पर ग़ज़ल अच्छी कही आपने,बधाई स्वीकार करें ।</p> जी,आजकल ओबीओ पर संकलन नहीं नि…tag:openbooks.ning.com,2020-01-25:5170231:Comment:10000542020-01-25T18:02:41.611ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जी,आजकल ओबीओ पर संकलन नहीं निकल रहे हैं,संचालक महोदय व्यस्त रहते हैं,कहाँ, नहीं मालूम ।</p>
<p>जी,आजकल ओबीओ पर संकलन नहीं निकल रहे हैं,संचालक महोदय व्यस्त रहते हैं,कहाँ, नहीं मालूम ।</p> जी,क्षमा करें !
आपकी ग़ज़ल के न…tag:openbooks.ning.com,2020-01-25:5170231:Comment:9999762020-01-25T17:52:40.819ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जी,क्षमा करें !</p>
<p>आपकी ग़ज़ल के नीचे मौलिक/ अप्रकाशित लिखा देख कर धोका हो गया ।</p>
<p>जी,क्षमा करें !</p>
<p>आपकी ग़ज़ल के नीचे मौलिक/ अप्रकाशित लिखा देख कर धोका हो गया ।</p> मैं दूसरों की ग़ज़ल पर अपने विच…tag:openbooks.ning.com,2020-01-25:5170231:Comment:10001542020-01-25T17:51:52.932Zदिनेश कुमारhttp://openbooks.ning.com/profile/0bbsmwu5qzvln
<p>मैं दूसरों की ग़ज़ल पर अपने विचार अवश्य रखूँगा, सर। लेकिन अभी वक़्त कम बचा है। संकलन के समय, हर ग़ज़ल पर अपनी राय ज़रूर दूँगा। आज के लिए मुआफ़ी चाहता हूँ, सर। उम्मीद है, आप अन्यथा नहीं लेंगे।</p>
<p>मैं दूसरों की ग़ज़ल पर अपने विचार अवश्य रखूँगा, सर। लेकिन अभी वक़्त कम बचा है। संकलन के समय, हर ग़ज़ल पर अपनी राय ज़रूर दूँगा। आज के लिए मुआफ़ी चाहता हूँ, सर। उम्मीद है, आप अन्यथा नहीं लेंगे।</p> आदरणीय क्षमा करें किंतु गजल…tag:openbooks.ning.com,2020-01-25:5170231:Comment:9999752020-01-25T17:47:27.371ZAmit Kumar "Amit"http://openbooks.ning.com/profile/AmitKumar568
<p>आदरणीय क्षमा करें किंतु गजल अलग से पोस्ट नहीं की है रिप्लाई बॉक्स में ही है अगर अलग से की होती तो शायद लास्ट पेज पर होती।</p>
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<p>आदरणीय क्षमा करें किंतु गजल अलग से पोस्ट नहीं की है रिप्लाई बॉक्स में ही है अगर अलग से की होती तो शायद लास्ट पेज पर होती।</p>
<p></p> जनाब दिनेश जी,दूसरों की ग़ज़लों…tag:openbooks.ning.com,2020-01-25:5170231:Comment:9998992020-01-25T17:45:59.944ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब दिनेश जी,दूसरों की ग़ज़लों पर भी अपने विचार रखें ।</p>
<p>जनाब दिनेश जी,दूसरों की ग़ज़लों पर भी अपने विचार रखें ।</p> बहुत बहुत शुक्रिया आ. रवि भाई…tag:openbooks.ning.com,2020-01-25:5170231:Comment:10001532020-01-25T17:34:51.081Zदिनेश कुमारhttp://openbooks.ning.com/profile/0bbsmwu5qzvln
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आ. रवि भाई जी। आभार</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आ. रवि भाई जी। आभार</p> जी,दो बार ग़ज़ल पोस्ट करना नियम…tag:openbooks.ning.com,2020-01-25:5170231:Comment:9999742020-01-25T17:34:08.864ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जी,दो बार ग़ज़ल पोस्ट करना नियम के विरुद्ध है,आपको ये ग़ज़ल संशोधित लिख कर पहली ग़ज़ल के रिप्लाय में पोस्ट करना थी ।</p>
<p></p>
<p><br/>'खुशी हो या फिर ये गम हो, सिर पे ये आसमां है'</p>
<p>ये मिसरा बह्र में नहीं है</p>
<p></p>
<p>'कुछ तो बताओ मुझको कुछ तो हुआ यहाँ है।<br/>बिन आग और लकड़ी ये कैसा भला धुआं है'</p>
<p>ये शैर बह्र में नहीं है ।</p>
<p>4था बह्र में नहीं है ।</p>
<p>गिरह का मिसरा बह्र में नही है ।</p>
<p>बाक़ी अशआर भी बह्र में नहीं हैं ।</p>
<p>जी,दो बार ग़ज़ल पोस्ट करना नियम के विरुद्ध है,आपको ये ग़ज़ल संशोधित लिख कर पहली ग़ज़ल के रिप्लाय में पोस्ट करना थी ।</p>
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<p><br/>'खुशी हो या फिर ये गम हो, सिर पे ये आसमां है'</p>
<p>ये मिसरा बह्र में नहीं है</p>
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<p>'कुछ तो बताओ मुझको कुछ तो हुआ यहाँ है।<br/>बिन आग और लकड़ी ये कैसा भला धुआं है'</p>
<p>ये शैर बह्र में नहीं है ।</p>
<p>4था बह्र में नहीं है ।</p>
<p>गिरह का मिसरा बह्र में नही है ।</p>
<p>बाक़ी अशआर भी बह्र में नहीं हैं ।</p> आदरणीय दिनेश भाई, इस सुंदर ग़ज़…tag:openbooks.ning.com,2020-01-25:5170231:Comment:10000532020-01-25T17:31:03.685Zरवि भसीन 'शाहिद'http://openbooks.ning.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय दिनेश भाई, इस सुंदर ग़ज़ल पर आपको हार्दिक बधाई। सभी अश'आर बहुत अच्छे हुए हैं।</p>
<p>आदरणीय दिनेश भाई, इस सुंदर ग़ज़ल पर आपको हार्दिक बधाई। सभी अश'आर बहुत अच्छे हुए हैं।</p>