"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-108 - Open Books Online2024-03-29T05:51:31Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/108-1?commentId=5170231%3AComment%3A994263&feed=yes&xn_auth=noउत्साह वर्धन के लिए हृदयतल से…tag:openbooks.ning.com,2019-10-13:5170231:Comment:9944102019-10-13T17:26:41.724Zsunanda jha http://openbooks.ning.com/profile/sunandajha840
<p>उत्साह वर्धन के लिए हृदयतल से आभार आदरणीया ।</p>
<p>उत्साह वर्धन के लिए हृदयतल से आभार आदरणीया ।</p> उत्साहवर्धन के लिए हृदयतल से…tag:openbooks.ning.com,2019-10-13:5170231:Comment:9943722019-10-13T17:25:40.857Zsunanda jha http://openbooks.ning.com/profile/sunandajha840
<p>उत्साहवर्धन के लिए हृदयतल से आभार आदरणीय ,प्रयास करुँगी उत्तम तुकांत लिखने की । </p>
<p>उत्साहवर्धन के लिए हृदयतल से आभार आदरणीय ,प्रयास करुँगी उत्तम तुकांत लिखने की । </p> आ. प्रशांत जी, सुंदर रचना हुई…tag:openbooks.ning.com,2019-10-13:5170231:Comment:9941952019-10-13T16:50:56.904Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. प्रशांत जी, सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. प्रशांत जी, सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।</p> ढुलक गया तो आँसू बनता ,सूख ग…tag:openbooks.ning.com,2019-10-13:5170231:Comment:9944092019-10-13T16:07:18.935Zpratibha pandehttp://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
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<p>ढुलक गया तो आँसू बनता ,सूख गया तो शर्म।<br/>प्यास मिटाई प्यासे की तो,खूब कमाया धर्म।// वाह सुन्दर भाव। हार्दिक बधाई आदरणीया सुनन्दा झा जी प्रदत्त विषय पर सुन्दर सृजन के लिये।</p>
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<p>ढुलक गया तो आँसू बनता ,सूख गया तो शर्म।<br/>प्यास मिटाई प्यासे की तो,खूब कमाया धर्म।// वाह सुन्दर भाव। हार्दिक बधाई आदरणीया सुनन्दा झा जी प्रदत्त विषय पर सुन्दर सृजन के लिये।</p> आदरणीय समर कबीर सर, सादर वंदन…tag:openbooks.ning.com,2019-10-13:5170231:Comment:9944082019-10-13T15:56:18.722Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>आदरणीय समर कबीर सर, सादर वंदन! हौंसला अफ़ज़ाई और अनुमोदन के लिए तहेदिल आभारं।</p>
<p>जहाँ तक ख़ुश्कती शब्द किस भाषा का है, तो इसका सही जवाब क्या होगा? कुछ स्पष्ट नहीं कह सकता।</p>
<p>हां इसका मूल शब्द ख़ुश्क अथवा ख़ुश्की शायद उर्दू का ही शब्द है, उसी शब्द से आञ्चलिक अपरभ्रंश होकर, ख़ुश्कना क्रिया बनी होगी। क्योंकि इसका प्रयोग गाहे- बगाहे बोली में सुनने को मिल जाता है। इसी से मिलती-जुलती एक और क्रिया है 'मुश्कना' जो सँभवतः मुश्क का ही अपभ्रंश है। सादर</p>
<p>आदरणीय समर कबीर सर, सादर वंदन! हौंसला अफ़ज़ाई और अनुमोदन के लिए तहेदिल आभारं।</p>
<p>जहाँ तक ख़ुश्कती शब्द किस भाषा का है, तो इसका सही जवाब क्या होगा? कुछ स्पष्ट नहीं कह सकता।</p>
<p>हां इसका मूल शब्द ख़ुश्क अथवा ख़ुश्की शायद उर्दू का ही शब्द है, उसी शब्द से आञ्चलिक अपरभ्रंश होकर, ख़ुश्कना क्रिया बनी होगी। क्योंकि इसका प्रयोग गाहे- बगाहे बोली में सुनने को मिल जाता है। इसी से मिलती-जुलती एक और क्रिया है 'मुश्कना' जो सँभवतः मुश्क का ही अपभ्रंश है। सादर</p> वाह ...बहुत सुन्दर सार्थक सृज…tag:openbooks.ning.com,2019-10-13:5170231:Comment:9941942019-10-13T15:21:51.843Zpratibha pandehttp://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>वाह ...बहुत सुन्दर सार्थक सृजन कहीं कटाक्ष करता कहीं आगाह करता।हार्दिक बधाई आदरणीय शेख शहज़ाद जी</p>
<p>वाह ...बहुत सुन्दर सार्थक सृजन कहीं कटाक्ष करता कहीं आगाह करता।हार्दिक बधाई आदरणीय शेख शहज़ाद जी</p> जल की उपयोगिता बताते हुए सुन्…tag:openbooks.ning.com,2019-10-13:5170231:Comment:9941042019-10-13T15:15:25.017Zpratibha pandehttp://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>जल की उपयोगिता बताते हुए सुन्दर छन्दमुक्त रचना का सृजन। हार्दिक बधाई आदरणीय प्रशांत दीक्षित सागर जी</p>
<p>जल की उपयोगिता बताते हुए सुन्दर छन्दमुक्त रचना का सृजन। हार्दिक बधाई आदरणीय प्रशांत दीक्षित सागर जी</p> जनाब सतविन्द्र कुमार राणा जी…tag:openbooks.ning.com,2019-10-13:5170231:Comment:9942902019-10-13T15:05:38.512ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सतविन्द्र कुमार राणा जी आदाब,प्रदत्त विषय पर अच्छे दोहे लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'कहीं ख़ुश्कती सांस हैं, कहीं उन्हीं पर ज़ोर।'</p>
<p>इस पंक्ति में ' ख़ुश्कती' शब्द किस भाषा का है,और इसका</p>
<p>अर्थ क्या है,बताने का कष्ट करें ।</p>
<p>जनाब सतविन्द्र कुमार राणा जी आदाब,प्रदत्त विषय पर अच्छे दोहे लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'कहीं ख़ुश्कती सांस हैं, कहीं उन्हीं पर ज़ोर।'</p>
<p>इस पंक्ति में ' ख़ुश्कती' शब्द किस भाषा का है,और इसका</p>
<p>अर्थ क्या है,बताने का कष्ट करें ।</p> दोहे
जीवन जल को मानता, यह पू…tag:openbooks.ning.com,2019-10-13:5170231:Comment:9943662019-10-13T14:57:37.940Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>दोहे</p>
<p></p>
<p>जीवन जल को मानता, यह पूरा संसार।</p>
<p>जल थल जब हो एक-सा, जीवन जाता हार।।</p>
<p></p>
<p>जिसकी आँखों का मरा, पानी सुन लो तात।</p>
<p>पानी-पानी हो वही, जब जाने औक़ात।।</p>
<p></p>
<p>जल-जल जल चिल्ला रहा, जन-जन अब हर ओर।</p>
<p>कहीं ख़ुश्कती सांस हैं, कहीं उन्हीं पर ज़ोर।।</p>
<p></p>
<p>अनुशासित जल जिंदगी, मारक है बिन ओट।</p>
<p>कुछ मानुस के काज से, कुछ कुदरत का खोट।।</p>
<p></p>
<p>बादल के तन में बसे, आर्द्र वायु के श्वास।</p>
<p>पादप-कीड़े-जानवर, सबकी जल से…</p>
<p>दोहे</p>
<p></p>
<p>जीवन जल को मानता, यह पूरा संसार।</p>
<p>जल थल जब हो एक-सा, जीवन जाता हार।।</p>
<p></p>
<p>जिसकी आँखों का मरा, पानी सुन लो तात।</p>
<p>पानी-पानी हो वही, जब जाने औक़ात।।</p>
<p></p>
<p>जल-जल जल चिल्ला रहा, जन-जन अब हर ओर।</p>
<p>कहीं ख़ुश्कती सांस हैं, कहीं उन्हीं पर ज़ोर।।</p>
<p></p>
<p>अनुशासित जल जिंदगी, मारक है बिन ओट।</p>
<p>कुछ मानुस के काज से, कुछ कुदरत का खोट।।</p>
<p></p>
<p>बादल के तन में बसे, आर्द्र वायु के श्वास।</p>
<p>पादप-कीड़े-जानवर, सबकी जल से आस।।</p>
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<p>मौलिक अप्रकाशित</p>
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<p></p> बहुत-बहुत धन्यवाद tag:openbooks.ning.com,2019-10-13:5170231:Comment:9941032019-10-13T14:43:35.110Zप्रशांत दीक्षित 'प्रशांत'http://openbooks.ning.com/profile/PrashantDixit
<p>बहुत-बहुत धन्यवाद </p>
<p>बहुत-बहुत धन्यवाद </p>