ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा-अंक100 में शामिल सभी ग़ज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ) - Open Books Online2024-03-28T17:06:44Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/100-1?commentId=5170231%3AComment%3A957725&feed=yes&xn_auth=noमुहतरम राणा प्रताप साहिब
गुज़…tag:openbooks.ning.com,2018-11-21:5170231:Comment:9620972018-11-21T12:04:03.063ZMunavvar Ali 'taj'http://openbooks.ning.com/profile/MunavvarAlitaj
मुहतरम राणा प्रताप साहिब<br />
गुज़ारिश है कि ग़ज़ल नं. 33 के सातवें शेर के सानी मिसरे में लफ्ज़ ' उसकी ' को 'उसका ' करने की ज़हमत गवारा फरमाईये।<br />
ग़ज़ल संग्रह के लिए हार्दिक बधाईयाँ<br />
मुनव्वर अली ताज
मुहतरम राणा प्रताप साहिब<br />
गुज़ारिश है कि ग़ज़ल नं. 33 के सातवें शेर के सानी मिसरे में लफ्ज़ ' उसकी ' को 'उसका ' करने की ज़हमत गवारा फरमाईये।<br />
ग़ज़ल संग्रह के लिए हार्दिक बधाईयाँ<br />
मुनव्वर अली ताज बहुत बहुत शुक्रिया जनाब मिर्ज़…tag:openbooks.ning.com,2018-10-30:5170231:Comment:9591132018-10-30T06:20:38.364ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>बहुत बहुत शुक्रिया जनाब मिर्ज़ा जावेद बैग साहिब ।</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया जनाब मिर्ज़ा जावेद बैग साहिब ।</p> मुहतरम जनाब राना प्रताप साहिब…tag:openbooks.ning.com,2018-10-27:5170231:Comment:9583872018-10-27T18:51:07.924Zmirza javed baighttp://openbooks.ning.com/profile/mirzajavedbaig
<p>मुहतरम जनाब राना प्रताप साहिब, सौरभ पांडे साहिब, गणेश जी बागी साहिब ,प्रभाकर साहिब निलेश नूर साहिब अशोक रक्ताले साहिब औरऔबीओ मँच के सभी पदाधिकारी गण ओर मँच के तमाम मेंबरान को इस सफ़लतम 100 वें आयोजन की बहुत बहुत मुबारक बाद </p>
<p>पिछले तीन मुशाइरों से मैं भी शामिल रहा हूँ मुशाइरे में लेकिन इस बार गौल्डन जुब्ली मुशायरे ने तो कमाल ही कर दिया एक से बढ़ कर एक ख़ूबसूरत अशआर पढ़ने को तो मिले ही साथ ही बहुत कुछ सीखने का अवसर भी प्राप्त हुआ जनाब समर कबीर साहिब को ख़ुसूसी मुबारक बाद पैश करता हूं…</p>
<p>मुहतरम जनाब राना प्रताप साहिब, सौरभ पांडे साहिब, गणेश जी बागी साहिब ,प्रभाकर साहिब निलेश नूर साहिब अशोक रक्ताले साहिब औरऔबीओ मँच के सभी पदाधिकारी गण ओर मँच के तमाम मेंबरान को इस सफ़लतम 100 वें आयोजन की बहुत बहुत मुबारक बाद </p>
<p>पिछले तीन मुशाइरों से मैं भी शामिल रहा हूँ मुशाइरे में लेकिन इस बार गौल्डन जुब्ली मुशायरे ने तो कमाल ही कर दिया एक से बढ़ कर एक ख़ूबसूरत अशआर पढ़ने को तो मिले ही साथ ही बहुत कुछ सीखने का अवसर भी प्राप्त हुआ जनाब समर कबीर साहिब को ख़ुसूसी मुबारक बाद पैश करता हूं ना सिर्फ़ इसलिए कि उनके मिसरे को गोल्डन जुबली अंक में लिया गया बल्कि इस्लिए भी कि जिस तरह समर साहिब ने एक एक ग़ज़ल पढ़ उस पर ना सिर्फ़ तारीफ़ और तन्क़ीद की बल्कि ये भी बताया कि किस तरह इसे सही किया जा सकता है। </p>
<p>लगातार तीन दिन तक मँच के साथ बने रहते हुए बेपनाह मुहब्बत समर्पण अपने जुनून और एनर्जी पावर का लाजवाब मुज़ाहिरा किया हे </p>
<p>मैंमैं समझता हूँ संचालक मंडल के मुशाइरे में शामिल रहने की वजह से भी शौरा इकराम की ऊर्जा को संचार मिलता रहा मैं संचालक मंडल को भी ख़ुसूसी मुबारक बाद पैश करते हुए उम्मीद करता हूं इस गुज़ारिश के साथ कि आइंदा होने वाले मुशाइरों में, भी इसी जोशो ख़रोश के साथ शामिल रह कर हम जेसे तालिब इल्मों की रहनुमाई जारी रखेंगे। </p>
<p>मेरी दोनों ग़ज़लों को बेपनाह दाद औ तहसीन से नवाज़ने के लिए तमाम मेम्बरान का बे इंतिहा मशकूर औ ममनून हूँ</p>
<p></p>
<p></p> जनाब राणा प्रतापसिंह साहिब ,…tag:openbooks.ning.com,2018-10-25:5170231:Comment:9578872018-10-25T13:42:37.451ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब राणा प्रतापसिंह साहिब , ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक 100 के त्वरित संकलन और बेहद कामयाब निज़ामत के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं l</p>
<p>जनाब राणा प्रतापसिंह साहिब , ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक 100 के त्वरित संकलन और बेहद कामयाब निज़ामत के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं l</p> आ. भाई राणा प्रताप जी, सादर अ…tag:openbooks.ning.com,2018-10-24:5170231:Comment:9575812018-10-24T01:55:34.490Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई राणा प्रताप जी, सादर अभिवादन। पुनः एक अनुरोध और</p>
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<p>गजल संख्या 50 को पूरणतः इस संशोधित गजल से प्रतिस्थापित करने की कृपा करें । सादर...</p>
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<p dir="ltr"><br></br> ओ बी ओ पर जमा गया है मुझे<br></br> पक्का शायर बना गया है मुझे।१।<br></br> नभ का तारा हूँ मैं तो ऐ भाई<br></br> बुलबुला कब कहा गया है मुझे।२।<br></br> क्या 'समर'ने तुझे दी सीख नई'<br></br> सब्र करना तो आ गया है मुझे ।३।<br></br> आईना तो नहीं हुआ हूँ मगर<br></br> नस्ब फिर भी किया गया है मुझे।४।<br></br> लाई क़िस्मत जो तेरे दर पर…</p>
<p>आ. भाई राणा प्रताप जी, सादर अभिवादन। पुनः एक अनुरोध और</p>
<p></p>
<p>गजल संख्या 50 को पूरणतः इस संशोधित गजल से प्रतिस्थापित करने की कृपा करें । सादर...</p>
<p></p>
<p dir="ltr"><br/> ओ बी ओ पर जमा गया है मुझे<br/> पक्का शायर बना गया है मुझे।१।<br/> नभ का तारा हूँ मैं तो ऐ भाई<br/> बुलबुला कब कहा गया है मुझे।२।<br/> क्या 'समर'ने तुझे दी सीख नई'<br/> सब्र करना तो आ गया है मुझे ।३।<br/> आईना तो नहीं हुआ हूँ मगर<br/> नस्ब फिर भी किया गया है मुझे।४।<br/> लाई क़िस्मत जो तेरे दर पर तो<br/> इल्म थोड़ा सा आ गया है मुझे।५।<br/> नब्ज मेरी उसी के हाथ रही<br/> तख़्त पर जो बिठा गया है मुझे।६।<br/> रस्म हर इक निभा रहा हूँ यहाँ<br/> हीन फिर भी कहा गया है मुझे।७।<br/> मुक्त मन से पढ़ा गया वो सबक <br/> शायरी नित सिखा गया है मुझे।८।<br/> यत्न कर यश मिलेगा खूब तुझे<br/> राज ये वो बता गया है मुझे।९।<br/> शख़्सियत उनके जैसी करना है<br/> ताज उनका जो भा गया है मुझे।१०।<br/> ब्याज से बढ़ के अस्ल होता है<br/> दीन रख ये बता गया है मुझे।११।<br/> सबका अहसान मंद हूँ भाई<br/> मान इतना दिया गया है मुझे ।१२।<br/> रोज़ का ख़त्म हो गया झगड़ा<br/> हर कोई आज पा गया है मुझे।१३।</p>
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<p dir="ltr"></p> हार्दिक अाभार tag:openbooks.ning.com,2018-10-23:5170231:Comment:9577002018-10-23T07:57:38.520ZKrishnasingh Pelahttp://openbooks.ning.com/profile/KrishnasinghPela
<p>हार्दिक अाभार </p>
<p>हार्दिक अाभार </p> राणा साहब ग़ज़ल के मिसरे में जो…tag:openbooks.ning.com,2018-10-23:5170231:Comment:9576952018-10-23T07:18:06.806ZMd. Anis armanhttp://openbooks.ning.com/profile/Mdanissheikh
<p>राणा साहब ग़ज़ल के मिसरे में जो ऐब है कृपा करके उस मिसरे को बदल कर 'ज़िन्दगी बिन तेरे गुज़ारनी है ' कर दीजिये ग़ज़ल २७ नंबर में है |</p>
<p>राणा साहब ग़ज़ल के मिसरे में जो ऐब है कृपा करके उस मिसरे को बदल कर 'ज़िन्दगी बिन तेरे गुज़ारनी है ' कर दीजिये ग़ज़ल २७ नंबर में है |</p> संकलन के यथाशीघ्र प्रकाशन की…tag:openbooks.ning.com,2018-10-23:5170231:Comment:9574992018-10-23T05:08:25.855ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>संकलन के यथाशीघ्र प्रकाशन की हार्दिक बधाइयाँ..</p>
<p></p>
<p>संकलन के यथाशीघ्र प्रकाशन की हार्दिक बधाइयाँ..</p>
<p></p> मेरे उपरोक्त पुनर्अभ्यास अनुम…tag:openbooks.ning.com,2018-10-22:5170231:Comment:9577332018-10-22T22:04:17.761ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>मेरे उपरोक्त पुनर्अभ्यास अनुमोदन और मिसरों के प्रतिस्थापन हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब <em><strong>राणा प्रताप सिंह</strong></em> साहिब। अन्य इंगित (इटैलिक) मिसरों के दोष समझने और सुधारने की कोशिश करूंगा। कसावट और रब्त दुरुस्त करना सीखने में अभी बहुत समय और मिहनत की ज़रूरत महसूस हो रही है। सादर।</p>
<p>मेरे उपरोक्त पुनर्अभ्यास अनुमोदन और मिसरों के प्रतिस्थापन हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब <em><strong>राणा प्रताप सिंह</strong></em> साहिब। अन्य इंगित (इटैलिक) मिसरों के दोष समझने और सुधारने की कोशिश करूंगा। कसावट और रब्त दुरुस्त करना सीखने में अभी बहुत समय और मिहनत की ज़रूरत महसूस हो रही है। सादर।</p> आ. राणा प्रताप जी, ग़ज़ल संख्या…tag:openbooks.ning.com,2018-10-22:5170231:Comment:9577292018-10-22T14:49:32.310ZShlesh Chandrakarhttp://openbooks.ning.com/profile/ShleshChandrakar
<p>आ. राणा प्रताप जी, ग़ज़ल संख्या 85 के 4थे शेर मिसरा ए उला सुधार कर ‛अब तेरा इंतजार करता हूँ' करने की कृपा करें । </p>
<p>क्या ग़ज़ल में एक और शेर जोड़ सकने का प्रावधान है तो बताइए । सादर ।</p>
<p>आ. राणा प्रताप जी, ग़ज़ल संख्या 85 के 4थे शेर मिसरा ए उला सुधार कर ‛अब तेरा इंतजार करता हूँ' करने की कृपा करें । </p>
<p>क्या ग़ज़ल में एक और शेर जोड़ सकने का प्रावधान है तो बताइए । सादर ।</p>