०१ अप्रील को इलाहाबाद में सम्मिलन-सह-काव्य गोष्ठी - Open Books Online2024-03-28T19:55:34Zhttp://openbooks.ning.com/forum/topics/01?feed=yes&xn_auth=noसमारोह में शामिल होने वाले सभ…tag:openbooks.ning.com,2012-04-01:5170231:Comment:2076552012-04-01T08:03:44.140ZAVINASH S BAGDEhttp://openbooks.ning.com/profile/AVINASHSBAGDE
<p><span>समारोह में शामिल होने वाले सभी को मेरी शुभकामनायें. </span></p>
<p><span>समारोह में शामिल होने वाले सभी को मेरी शुभकामनायें. </span></p> ओ बी ओ को दूसरी सालगिरह पर अन…tag:openbooks.ning.com,2012-03-28:5170231:Comment:2061002012-03-28T20:24:27.046ZShanno Aggarwalhttp://openbooks.ning.com/profile/ShannoAggarwal
<p>ओ बी ओ को दूसरी सालगिरह पर अनंत शुभकामनायें. इसकी टीम के सभी महानुभावों को बहुत बधाई व शुभकामनायें. </p>
<p>ओ बी ओ को दूसरी सालगिरह पर अनंत शुभकामनायें. इसकी टीम के सभी महानुभावों को बहुत बधाई व शुभकामनायें. </p> इस सराहनीय कार्य के लिए सम्पू…tag:openbooks.ning.com,2012-03-28:5170231:Comment:2062622012-03-28T19:33:17.304ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooks.ning.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>इस सराहनीय कार्य के लिए सम्पूर्ण आयोजक मंडल सहित आदरणीय सौरभ जी व भाई वीनस जी को बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनायें ! सादर</p>
<p>इस सराहनीय कार्य के लिए सम्पूर्ण आयोजक मंडल सहित आदरणीय सौरभ जी व भाई वीनस जी को बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनायें ! सादर</p> इंटरनेट जगत में तेजी से उभरती…tag:openbooks.ning.com,2012-03-28:5170231:Comment:2062182012-03-28T08:42:24.538ZAbhinav Arunhttp://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>इंटरनेट जगत में तेजी से उभरती इस साहित्यिक वेबसाइट की वर्ष गांठ पर अनंत शुभकामनाएं !! ओ बी ओ एक परिवार है और परिवार की तरक्की से हम सब आह्लादित हैं !!!</p>
<p>इंटरनेट जगत में तेजी से उभरती इस साहित्यिक वेबसाइट की वर्ष गांठ पर अनंत शुभकामनाएं !! ओ बी ओ एक परिवार है और परिवार की तरक्की से हम सब आह्लादित हैं !!!</p> ओ,बी.ओ. की द्वितीय वर्षगांठ प…tag:openbooks.ning.com,2012-03-28:5170231:Comment:2057962012-03-28T03:34:18.527Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p><span>ओ,बी.ओ. की द्वितीय वर्षगांठ पर हार्दिक बधाई | </span></p>
<div>साथही आपके द्वारा आयोजित काव्य समारोह की </div>
<div>सफलता के लिए मेरी शुभकामनाए | आमंत्रण के </div>
<div>लिए धन्यवाद | - लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर </div>
<p><span>ओ,बी.ओ. की द्वितीय वर्षगांठ पर हार्दिक बधाई | </span></p>
<div>साथही आपके द्वारा आयोजित काव्य समारोह की </div>
<div>सफलता के लिए मेरी शुभकामनाए | आमंत्रण के </div>
<div>लिए धन्यवाद | - लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर </div> obo परिवार को और सौरभ जी तथा…tag:openbooks.ning.com,2012-03-28:5170231:Comment:2059532012-03-28T03:12:31.843ZDr. Sanjay danihttp://openbooks.ning.com/profile/DrSanjaydani
<p>obo परिवार को और सौरभ जी तथा विनस केसरी जी को शुभकामनायें और मुबारकबाद्।</p>
<p>obo परिवार को और सौरभ जी तथा विनस केसरी जी को शुभकामनायें और मुबारकबाद्।</p> अग्रज को सादर अभिवादन ,,यह तं…tag:openbooks.ning.com,2012-03-28:5170231:Comment:2058802012-03-28T02:56:55.320Zअश्विनी कुमारhttp://openbooks.ning.com/profile/0ebe0p3dse0e4
<p>अग्रज को सादर अभिवादन ,,यह तंज़ अगर मेरे लिए है तो सादर शिरोधार्य :) लेकिन परेशान मत होइए मिलता हूँ ....वंदन हेतु ,,,,,,,अभी तो यह पुष्प समर्पित है .....<a target="_self" href="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2966938735?profile=original"><img class="align-right" src="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2966938735?profile=original" width="174"/></a>...................................................................................अग्रज को </p>
<p>अग्रज को सादर अभिवादन ,,यह तंज़ अगर मेरे लिए है तो सादर शिरोधार्य :) लेकिन परेशान मत होइए मिलता हूँ ....वंदन हेतु ,,,,,,,अभी तो यह पुष्प समर्पित है .....<a target="_self" href="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2966938735?profile=original"><img class="align-right" src="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2966938735?profile=original" width="174"/></a>...................................................................................अग्रज को </p> हा हाहा अह्हह्ह tag:openbooks.ning.com,2012-03-27:5170231:Comment:2058752012-03-27T17:39:07.510ZShanno Aggarwalhttp://openbooks.ning.com/profile/ShannoAggarwal
<p>हा हाहा अह्हह्ह </p>
<p>हा हाहा अह्हह्ह </p> आज पता नहीं क्यों, शन्नोजी, आ…tag:openbooks.ning.com,2012-03-27:5170231:Comment:2060222012-03-27T17:26:09.417ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आज पता नहीं क्यों, शन्नोजी, आईना देखने का मन हुआ... रात में. सिर पर कहीं सिंह निकल आये हैं क्या या आयाल बन आये हैं ? देखना है.</p>
<p>:-)))))))))))))</p>
<p></p>
<p>आज पता नहीं क्यों, शन्नोजी, आईना देखने का मन हुआ... रात में. सिर पर कहीं सिंह निकल आये हैं क्या या आयाल बन आये हैं ? देखना है.</p>
<p>:-)))))))))))))</p>
<p></p> सौरभ जी, अब अपने इस मूरख मन स…tag:openbooks.ning.com,2012-03-27:5170231:Comment:2057902012-03-27T17:16:32.006ZShanno Aggarwalhttp://openbooks.ning.com/profile/ShannoAggarwal
<p>सौरभ जी, अब अपने इस मूरख मन से संदेह निकल गया.... हा हा हा </p>
<p>इतने विद्द्वान होकर भी आप हम सबको अपनी सादगी से अभिभूत करते रहते हैं. अपनी इस तरह की हल्की-फुल्की बातों की फुहार से हमेशा ओ बी ओ को भिगोते रहें. काव्य गोष्ठी के लिये शुभकामनायें. </p>
<p>सौरभ जी, अब अपने इस मूरख मन से संदेह निकल गया.... हा हा हा </p>
<p>इतने विद्द्वान होकर भी आप हम सबको अपनी सादगी से अभिभूत करते रहते हैं. अपनी इस तरह की हल्की-फुल्की बातों की फुहार से हमेशा ओ बी ओ को भिगोते रहें. काव्य गोष्ठी के लिये शुभकामनायें. </p>