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sanjiv verma 'salil''s Discussions (1,064)

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सदस्य टीम प्रबंधन

"अच्छी कोशिश."

sanjiv verma 'salil' replied Oct 3, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-4 (Now Close)

268 Oct 5, 2010
Reply by योगराज प्रभाकर

सदस्य टीम प्रबंधन

"अच्छी कोशिश..."

sanjiv verma 'salil' replied Oct 3, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-4 (Now Close)

268 Oct 5, 2010
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"कथ्य तो अच्छा है पर शिल्प को कुछ और तराशा जाये... तो मजा बढ़ जाएगा."

sanjiv verma 'salil' replied Oct 3, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-4 (Now Close)

268 Oct 5, 2010
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"पाँव फैलाऊँ मैं कैसे के न सर खुल जाए इतनी छोटी सी इलाही मेरी चादर क्यूँ है हर शे'र…"

sanjiv verma 'salil' replied Oct 3, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-4 (Now Close)

268 Oct 5, 2010
Reply by योगराज प्रभाकर

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"वाह.. वाह... हर शे'र एक से बढ़कर एक है."

sanjiv verma 'salil' replied Oct 3, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-4 (Now Close)

268 Oct 5, 2010
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"धर्मेन्द्र जी! बहुत खूब कहा है आपने. उर्दू की नज़रिए से ग़ज़ल पूरी तरह से दुरुस्त है…"

sanjiv verma 'salil' replied Oct 3, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-4 (Now Close)

268 Oct 5, 2010
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"पल्लव जी... अच्छे शे'र कहे हैं. 'आसमाँ बाँट सका ना कोई इंसान यहाँ' में तथ्यपरक त्रुट…"

sanjiv verma 'salil' replied Oct 3, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-4 (Now Close)

268 Oct 5, 2010
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"उम्दा अशआर... खंजर में बिंदी है चन्द्र बिंदी नहीं..."

sanjiv verma 'salil' replied Oct 3, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-4 (Now Close)

268 Oct 5, 2010
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"masha allah..."

sanjiv verma 'salil' replied Oct 3, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-4 (Now Close)

268 Oct 5, 2010
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"waah... waah..."

sanjiv verma 'salil' replied Oct 3, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-4 (Now Close)

268 Oct 5, 2010
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