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सदस्य टीम प्रबंधन वाराणसी में ओबीओ सदस्यों की काव्य-गोष्ठी सम्पन्नदिनांक 15 नवम्बर 2011 की संध्या इस मायने में यादगार हो गयी कि वाराणसी के काशी विद्यापीठ के निकट स्थित होटल जाह्नवी इण्टनेशनल में ओबीओ के सद… Started by Saurabh Pandey |
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Nov 17, 2011 Reply by Saurabh Pandey |
कविता एवम अन्य साहित्यिक विधाओं का उद्देश्य क्या है ?कविता एवम अन्य साहित्यिक विधाओं का उद्देश्य क्या है? क्या आत्म संतुष्टि अथवा सुखानुभूति या प्रेरणा या सन्देश या जागृति ? क्या इनमे से एक या… Started by Ashwini Ramesh |
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Sep 28, 2011 Reply by Ashwini Ramesh |
"चित्र से काव्य तक अंक -६ " : सभी रचनाएँ एक साथ :श्री योगराज प्रभाकर (प्रतियोगिता से अलग - पाँच कहमुकरियाँ ) (१) जिन्हें मिले वो हैं बड़भागे जिसको पाकर किस्मत जागे पा लो, बेशक लेकर भिक्ष… Started by Er. Ambarish Srivastava |
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Sep 26, 2011 Reply by Neelam Upadhyaya |
"चित्र से काव्य तक अंक -६ " (परस्पर वार्तालाप के क्रम में कहे गये छंद)(परस्पर वार्तालाप के क्रम में कहे गये छंद) श्री योगराज प्रभाकर कह-मुकरी (1) लाली दे दे वो चेहरे को आफताब कर दे ज़र्रे को, दे सब को ही शुभ… Started by Er. Ambarish Srivastava |
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Sep 24, 2011 Reply by Er. Ambarish Srivastava |
सर्वश्रेष्ठ रचना सम्मान\इस साईट के प्रशासक का यह निर्णय तो अच्छा है कि महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना को सम्मानित किया जाए लेकिन इसके साथ यदि पांच हज़ार रूपये के पुरुस्… Started by Ashwini Ramesh |
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Sep 9, 2011 Reply by Abhinav Arun |
प्रधान संपादक चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक-५ में सम्मिलित सभी रचनाएँ(श्री सतीश मापतपुरी जी) ( देश के जवानों द्वारा राखी के उपहार स्वरुप दिए गए वचन ) मुल्क अपना सदा यूँ सलामत रहे I आबरू और अमन की हिफाज़त रहे… Started by योगराज प्रभाकर |
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Aug 27, 2011 Reply by Sanjay Mishra 'Habib' |
ये सिलवटें भला क्यों ?ये सिलवटें भला क्यों ? Started by SS |
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Aug 25, 2011 Reply by आशीष यादव |
प्रधान संपादक चार भाषायों में चार घनाक्षरी छंद(ਪੰਜਾਬੀ ਘਨਾਛਰੀ) ਮੈਲੀ ਅਖ ਨਾਲ ਜਿਨ੍ਹੇ, ਤੱਕੀ ਹੈ ਜ਼ਮੀਨ ਤੇਰੀ ਮਾਰ ਮਾਰ ਕੀਤੇ ਸਾਰੇ, ਢੇਰ ਤੂੰ ਪੰਜਾਬੀਆ ! ਜਾਨ ਵਾਰੀ ਹੱਸ ਹੱਸ, ਜਦੋਂ ਜਦੋਂ ਲੋੜ ਪਈ, ਕੌਣ ਤ… Started by योगराज प्रभाकर |
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Jul 26, 2011 Reply by Aradhana |
"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता" अंक-४ से सम्बंधित सभी रचनाएँ एक साथ में:-श्री गणेश जी बागी: 1. "प्रतियोगिता से अलग" अन्नदाता कहलाते, भारत की ये शान है, धरती के पुत्र हम, देश के किसान है | पूरा परिवार मिल,… Started by Er. Ambarish Srivastava |
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Jul 23, 2011 Reply by Er. Ambarish Srivastava |
प्रधान संपादक "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता - अंक ३ में सम्मिलित सभी रचनाएँ//श्री गणेश जी बाग़ी// (प्रतियोगिता से अलग) चांदनी सी इक रात में,चार चाँद लगे ताज में, अहंकार के वश में ताज हुआ, इठला कर यमुना से बोला, र… Started by योगराज प्रभाकर |
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Jun 28, 2011 Reply by Shanno Aggarwal |
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